अपने उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि का खुलासा न करने वाले दलों का रद्द हो पंजीकरण, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
अपने उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि का खुलासा न करने वाले राजनीतिक दलों पर कार्रवाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट से चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की मांग की गई है।
अपने उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि का खुलासा न करने वाले राजनीतिक दलों पर कार्रवाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट से चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की मांग की गई है, कि वह ऐसे दलों का पंजीकरण रद्द कर दे। भाजपा नेता व वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर इस याचिका ने उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों में कैराना निर्वाचन क्षेत्र से समाजवादी पार्टी (सपा) के नाहिद हसन को चुनावी मैदान में उतारने का विशिष्ट उदाहरण दिया है।
उपाध्याय ने आरोप लगाया कि हसन एक कुख्यात गैंगस्टर है, लेकिन सपा ने न तो उसके आपराधिक रिकॉर्ड को इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशल मीडिया में प्रकाशित किया और न ही उसके चयन के कारण का खुलासा किया है जो सुप्रीम कोर्ट के फरवरी 2020 के फैसले के तहत अनिवार्य है। नाहिद हसन गैंगस्टर एक्ट के तहत हिरासत में है। उस पर 11 महीने पहले उस पर गैंगेस्टर एक्ट लगाया गया था। नाहिद उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण में नामांकन दाखिल करने वाले पहले उम्मीदवार हैं। गत वर्ष 13 फरवरी को शामली पुलिस ने कैराना से दो बार के विधायक नाहिद हसन पर गैंगस्टर एक्ट लगाया था। उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले हैं और वह कैराना से हिंदू पलायन के पीछे मास्टरमाइंड है। उनके खिलाफ धोखाधड़ी और जबरन वसूली सहित कई आपराधिक मामले हैं और विशेष विधायक-सांसद कोर्ट द्वारा उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया था।
उपाध्याय की याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दलों ने शीर्ष अदालत के 2018 और 2020 के फैसलों का पालन नहीं किया है। इसलिए उन्होंने भारत के चुनाव निकाय को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की मांग की कि प्रत्येक राजनीतिक दल यह बताए कि उसने आपराधिक मामलों वाले व्यक्ति को क्यों पसंद किया है। नेशनल इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने वर्तमान लोकसभा के 542 सांसदों में से 539 के शपथ पत्रों का विश्लेषण किया है, जिसमें पता चला है कि 233 (43 फीसदी) सांसदों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने पृष्ठभूमि का पूरा विवरण देने का दिया था आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फरवरी 2020 के फैसले में निर्देश दिया था कि राजनीतिक दलों को अपनी आधिकारिक वेबसाइटों के साथ-साथ समाचार पत्रों और सोशल मीडिया पर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों का विवरण अपलोड करना चाहिए। अदालत ने इस संबंध में वर्ष 2018 के अपने फैसले को दोहराया था और आदेश दिया था कि उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास के विवरण में अपराध की प्रकृति, आरोप तय किए गए हैं या नहीं शामिल होना चाहिए। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि पार्टियों को कारण बताना चाहिए कि प्रत्येक उम्मीदवार को चुनाव के लिए क्यों उतारा जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया था कि चुनाव जीतने की क्षमता उम्मीदवार को मैदान में उतारने का कारण नहीं होना चाहिए।