ICC चैंपियन्स ट्रॉफी 2025 से सैमसन और चहल को बाहर करने पर भज्जी ने की कड़ी आलोचना
New Delhi: भारतीय क्रिकेट टीम में जगह पाने के लिए मुकाबला हमेशा से ही बहुत कठिन रहा है। इस प्रतिस्पर्धा के बीच, कई बार प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को नज़रअंदाजी की बीच मझधार में छोड़ दिया जाता है। हाल ही में घोषित की गई भारतीय टीम में सैमसन और चहल की गैर-मौजूदगी ने क्रिकेट जगत में हलचल मचा दी है। हरभजन सिंह ने इस चयन को लेकर खुलकर अपनी बात रखी और इसे भारतीय क्रिकेट के लिए एक बड़ा झटका बताया। उनका मानना है कि सैमसन की बैटिंग और चहल की स्पिन गेंदबाजी, दोनों ही टीम के लिए अहम् साबित हो सकती थीं, लेकिन लगता है कि टीम चयन के दौरान इन खिलाड़ियों का ख्याल से भी चयनकर्ता दूर ही रहे।
संजू सैमसन: क्या उपेक्षा का शिकार?
संजू सैमसन, जो अपनी लगातार बेहतरीन परफॉर्मेंस के लिए जाने जाते हैं, को इस बार भारतीय टीम में जगह नहीं मिली, हालाँकि उनका वन डे इंटरनेशनल औसत 56.66 है, जो बेहद प्रभावशाली है। हरभजन सिंह ने इस चयन पर अपनी निराशा जाहिर की और सवाल उठाया कि ऐसे शानदार आँकड़ों वाले खिलाड़ी को बैकअप विकेटकीपर के तौर पर भी क्यों नहीं चुना गया।
हरभजन सिंह ने 'स्विच' से बातचीत में यह कहा, "सच में, मुझे उनके लिए बुरा लग रहा है। वे रन बनाते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें टीम से बाहर कर दिया जाता है। मैं जनता हूँ कि सिर्फ 15 खिलाड़ियों का ही चयन किया जा सकता है, लेकिन मुझे लगता है कि उनकी बैटिंग इस फॉर्मेट के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। उनका औसत 55-56 है, लेकिन फिर भी उन्हें दूसरे विकेटकीपर के रूप में भी नहीं लिया गया।"
सैमसन का मौजूदा फॉर्म हरभजन की बातों को सही साबित करता है। उन्होंने दिसंबर 2023 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपने आखिरी वन डे मैच में शानदार शतक बनाया और अपनी पिछली छह पारियों में शानदार परफॉर्म करते हुए, टी20 में लगातार तीन शतक जड़े हैं।
अपनी शानदार काबिलियत के बावजूद, सैमसन टीम की गतिशीलता का शिकार लग रहे हैं। अक्सर सैमसन पर तरजीह पाने वाले ऋषभ पंत टीम में अपनी जगह बनाए हुए हैं। विवाद की स्थिति तब और बढ़ गई, जब पता चला कि केरल क्रिकेट एसोसिएशन (केसीए) ने सैमसन को विजय हजारे ट्रॉफी में खेलने से रोक दिया था, जबकि उन्होंने अपनी उपलब्धता को स्पष्ट रूप से बताया था। इस निर्णय को लेकर कई लोगों का मानना है कि यह सैमसन के आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी टीम से बाहर होने में एक बड़ा कारण बन सकता है।
युज़वेंद्र चहल: एक स्पिन विकल्प, जो टीम से गायब है
हरभजन ने स्पिन-प्रधान भारतीय टीम में युज़वेंद्र चहल की गैर-मौजूदगी पर भी निराशा जताई। जबकि टीम में कुलदीप यादव, अक्षर पटेल, वॉशिंगटन सुंदर और रविंद्र जडेजा जैसे खिलाड़ी शामिल हैं, हरभजन का मानना है कि चहल की लेग स्पिन गेंदबाजी टीम में विविधता जोड़ सकती थी।
हरभजन ने कहा, "आपने चार स्पिनर चुने हैं, जिनमें से दो लेफ्ट आर्म हैं। आप एक लेग स्पिनर को विविधता के लिए चुन सकते थे। चहल एक बेहतरीन गेंदबाज हैं। मुझे नहीं पता कि उन्होंने ऐसा क्या गलत किया कि वे इस टीम में फिट नहीं हो पाए।"
चहल, जिन्होंने 72 वन डे मैचों में 121 विकेट लिए हैं और उनका औसत 27.13 है, जनवरी 2023 के बाद से इस प्रारूप में नहीं खेले हैं। उन्हें 2023 के वनडे वर्ल्ड कप में भी नज़रअंदाज किया गया था और टी20 वर्ल्ड कप 2024 के दौरान भी वे बेंच पर बैठे रहे, क्योंकि अक्षर पटेल, जडेजा और कुलदीप यादव को प्लेइंग इलेवन में प्राथमिकता दी गई।
क्या चयनकर्ता प्रतिभा को नज़रअंदाज कर रहे हैं?
हरभजन सिंह का एक-एक शब्द भारतीय क्रिकेट में एक बड़े मुद्दे को उजागर करता है कि प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को अवसर देने और 15 सदस्यीय टीम की सीमा के बीच संतुलन कैसे बैठाया जाए। हालाँकि, यह सच है कि हर किसी को टीम में शामिल नहीं किया जा सकता, लेकिन हरभजन का मानना है कि योग्य खिलाड़ियों के लिए तो स्थान बनाया ही जा सकता है, जैसे कि सैमसन और चहल।
इन खिलाड़ियों की गैर-मौजूदगी ने फैंस और क्रिकेट विशेषज्ञों के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है, जो महसूस करते हैं कि बीसीसीआई चयन समिति को अधिक पारदर्शी और मेरिट आधारित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। इस तरह के निर्णय न सिर्फ खिलाड़ियों के करियर को दलदल में झोंकते हैं, बल्कि टीम की स्ट्रेटेजी और प्रमुख टूर्नामेंट्स के लिए तैयारियों पर भी कई सवाल खड़े करते हैं।
जैसे-जैसे भारत आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के लिए तैयार हो रहा है, सभी की नज़रें चयनित टीम पर टिकी हुई हैं। हालाँकि, संजू सैमसन और युजवेंद्र चहल की गैर-मौजूदगी उन चुनौतियों की याद दिलाती है, जिनका सामना प्रतिभाशाली क्रिकेटर्स को राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने के लिए करना पड़ता है। टीम के चयन पर बहस अब भी खत्म नहीं हुई है, और जैसे-जैसे टूर्नामेंट आगे बढ़ेगा, इन निर्णयों के प्रभाव की समीक्षकों और फैंस द्वारा बारीकी से निगरानी की जाएगी।