किन्नरों जैसा बनकर भीख मांगने वाला गिरोह दिल्ली की सड़कों पर सक्रिय,जानिए इनकी हकीकत

राजधानी दिल्ली के चौक-चौराहों पर जगह-जगह किन्नर भीख मांगते नजर आते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि दिल्ली में इतनी बड़ी संख्या में किन्नर भिखारी हैं ही नहीं।

Update: 2022-04-09 04:56 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राजधानी दिल्ली के चौक-चौराहों पर जगह-जगह किन्नर भीख मांगते नजर आते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि दिल्ली में इतनी बड़ी संख्या में किन्नर भिखारी हैं ही नहीं। ये ट्रांसजेंडर के रूप में बहरूपिये (लड़के) होते हैं जोकि चौराहों, सार्वजनिक जगहों, प्रमुख बाजारों और पार्कों में भीख मांगते नजर आते हैं। ये जबरन उगाही तक करते हैं। हिन्दुस्तान की रिपोर्ट...

कागजों में सिर्फ 191 है किन्नर भिखारियों की संख्या
दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग की ओर से नवंबर 2021 में जारी सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में कुल 20719 भिखारी हैं। इनमें 10987 आदमी, 9541 महिला और 191 किन्नर हैं।
सबसे अधिक पूर्वी दिल्ली में कुल 2797 भिखारी हैं। कागजों में किन्नरों की संख्या मात्र 191 है, लेकिन राजधानी के अधिकांश चौराहों पर ये भीख मांगते नजर आते हैं। ट्रांसजेंडरों का आरोप है कि कुछ लोग बहरूपिया बनकर इसे धंधा बनाने में जुटे हैं।
शिकायत करते हैं : ट्रांसजेंडरों के अधिकारों के लिए काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता और किन्नर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के मुताबिक, किन्नरों का रूप धारण कर भीख मांगने वाले ये युवक देश के देहात इलाके से शहरों में आते हैं। इनके बारे में समय-समय पर स्थानीय पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक कर शिकायत की जाती है, लेकिन कोई ठोस कानून नहीं होने से कुछ दिन बाद ये जेल से छूटकर फिर उसी जगह या किसी अन्य शहर में भीख मांगने का काम करने लग जाते हैं।
दिल्ली पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि शिकायत मिलने पर ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जाती है जो सड़कों पर किन्नर बनकर जबरन उगाही करते हैं। इस बारे में समाज कल्याण विभाग के साथ मिलकर काम किया जा रहा है।
किन्नर और सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने बताया कि इस बारे में कई बार पुलिस से शिकायत की है। समय-समय पर पुलिस के साथ मिलकर इस समस्या पर काम किया जाता है। सड़कों पर किन्नर बनकर भीख मांगने वाले ये युवक देश के अलग-अलग हिस्सों से आते हैं।
राशन लेने का अधिकार
समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, दिल्ली के सभी ट्रांसजेंडर सरकारी दुकानों से राशन लेने का अधिकार रखते हैं। उन्हें स्थानीय कार्यालय जाकर एक फॉर्म भरना होगा, जिससे उन्हें राशन मिल सके। उनका कहना था अमूमन देखा जाता है कि ट्रांसजेंडर इस सरकारी योजना का लाभ नहीं उठाते हैं, जबकि वह सरकारी दुकानों से राशन लेने का सामान अधिकार रखते हैं जैसे दिल्ली का कोई अन्य नागरिक।
सरकार से अपनी अलग पहचान मांगी
नंदनगरी के एक किन्नर गुट से जुड़ी डॉली के मुताबिक, सरकार ने किन्नरों को अलग से कोई पहचान नहीं दी है। यही वजह है कि आज भी समाज में उन्हें सही दर्जा नहीं मिल पाया है। अगर एक किन्नर पुश्तैनी काम के बदले कोई रोजगार शुरू करना चाहता है तो उसे वह सुविधाएं नहीं मिल पातीं, जो आम नागरिक को मिलती हैं। सरकार ने चौराहों पर मांगने वाले किन्नरों को भिखारियों की श्रेणी में रखा है। घरों में मांगने वाले किन्नर उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते। डॉली ने कहा कि मजबूरी के कारण ही बहुत से किन्नरों को या तो भीख मांगनी पड़ती है या फिर अन्य गलत कामों का सहारा लेना पड़ता है।
प्रमुख इलाके जहां भिखारी ज्यादा
कनॉट प्लेस, यमुना बाजार हनुमान मंदिर, चांदनी चौक गौरी शंकर मंदिर और गुरुद्वारे के आसपास, रिंग रोड के दरियागंज, आश्रम चौक, सरोजनी नगर, लाजपत नगर, यमुना विहार, सीलमपुर, विकास मार्ग, दिलशाद गार्डन, इंडिया गेट, सेंट्रल पार्क, इंद्रप्रस्थ पार्क, कालकाजी मंदिर, भैरो मंदिर, कुतुब मीनार, कमला नगर, लोधी रोड, डिफेंस कॉलोनी, नेताजी सुभाष पैलेस, करोल बाग, खान मार्केट, हौज खास, जामा मस्जिद आदि।
गत वर्ष पकड़े गए थे एक दर्जन के करीब लोग
राजधानी में फर्जी किन्नर बनकर भीख मांगने और जबरन वसूली का धंधा भी खूब फल फूल रहा है। किन्नर भी इस संबंध में शिकायत करते हैं।
गत वर्ष जुलाई में आरपीएफ ने दिल्ली-गाजियाबाद ट्रेन में किन्नर बनकर भीख मांगने और जबरन वसूली करने वाली 10 महिला और एक किन्नर को गिरफ्तार किया था। किन्नर ने इन महिलाओं को दबंगई के साथ भीख मांगना सिखाया था। महिलाएं किन्नर के भेष में पैसे मांगती थीं। किन्नर बनकर यह भीख और जबरन उगाही करती थीं। पुलिस कार्रवाई में इस फर्जी किन्नर गैंग का खुलासा हुआ था।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक बहरूपियों पर कार्रवाई की जाती है। कई बार सामने आया है कि बढ़ती कमाई को देखते हुए भीख मांगने के लिए बाहर से भी किन्नर बुलाए जाते हैं। ये किन्नर यूपी, बिहार और राजस्थान से आते हैं।
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