कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के लिए राज्यों को जिम्मेदार ठहराया
दिल्ली एनसीआर न्यूज़: दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के लिए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यों के रवैये को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि पराली की समस्या से निजात पाने की जगह इस पर राजनीति ज्यादा हो रही है। इसके लिए जब किसानों को जिम्मेदार ठहराया जाता है तो लगता है कि मुझे गालियां दी जा रही हैं।
कृषि मंत्री ने कहा कि सवाल पराली के उचित प्रबंधन का है। धान और चावल हमारी जरूरत है। हम इसकी खेती रोक नहीं सकते। इसकी खेती होगी तो पराली भी होगा। चर्चा इस पर होनी चाहिए कि इसका प्रबंधन कैसे हो। इसके प्रबंधन का भी उपाय है। राज्य सरकार अगर ठान लें तो इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदूषण की समस्या हर साल आती है। हर बार पराली जलने को इसका कारण बताया जाता है। सवाल यह है कि जब धान की खेती होगी तो पराली भी होगी। ऐसे में पराली को राजनीति का विषय बनाने के बदले हमें बेहतर प्रबंधन पर बात करने और आगे बढ़ने की जरूरत है। पराली अगर समस्या है तो इसे खुले मन से स्वीकार कीजिए और बेहतर प्रबंधन की व्यवस्था कीजिए।
पराली से निजात के लिए केजरीवाल ने मांगा एक साल: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में पराली जलने से पैदा हुई प्रदूषण की समस्या की जिम्मेदारी पंजाब सरकार पर डाली है। इससे निपटने के लिए उन्होंने एक साल का वक्त मांगा है। साथ ही कहा कि प्रदूषण सिर्फ दिल्ली की नहीं, पूरे उत्तर भारत की समस्या है। इससे छुटकारा आरोपो-प्रत्यारोपों, केजरीवाल को जिम्मेदार ठहराने से नहीं मिलेगा। केंद्र का सभी प्रभावित राज्यों के साथ बैठक कर समाधान निकालना होगा। इस मौके पर मौजूद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बीते छह माह में पंजाब सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की चर्चा की। साथ ही माना कि इसके लिए किसानों को दोषी नहीं माना जाना चाहिए। दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के स्तर के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान एक साथ मीडिया के सामने आए। केजरीवाल ने कहा कि पंजाब में आप की सरकार को सिर्फ छह महीने का समय मिला। पंजाब सरकार ने कम समय में पूरी कोशिश की। दिल्ली की हवा जितनी ख़राब है, उतनी ही उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार और राजस्थान के शहरों की भी। दूसरे शहरों में केजरीवाल की वजह से प्रदूषण नहीं हो रहा है। इसके लिए दिल्ली और पंजाब की सरकार केवल जिम्मेदार नहीं है, बल्कि इसके कई सारे कारण है। कई स्थानीय कारण है तो कई क्षेत्रीय कारण है।
पर्यावरणविदों का दावा: पर्यावरणविदों ने शुक्रवार को दावा किया कि ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के चरण 4 के तहत जो उपाय किए गए हैं वे अप्रभावी हैं।दिल्ली-एनसीआर में डीजल हल्के मोटर वाहनों पर प्रतिबंध लगाने में थोड़ी देर कर दी गई। चिंतन एनवायरनमेंटल रिसर्च एंड एक्शन ग्रुप की संस्थापक और निदेशक भारती चतुर्वेदी ने दावा किया कि जीआरएपी की पूरी पहल समस्याग्रस्त थी और यह उपाय पूरे साल होने चाहिए थे। कार्य योजना समस्याग्रस्त है। यह एक अवधारणा के रूप में अच्छी तरह से काम करता था जब हमारे पास डाटा तक पहुंच नहीं थी। लेकिन एक्यूआई स्तर को 100 या उससे नीचे लाने के लिए ये उपाय पूरे साल लागू होने चाहिए। उन्होंने कहा, निर्माण श्रमिकों को पर्याप्त मुआवजा नहीं दिया गया और स्कूलों की छुट्टियों के कार्यक्रम को पहले ही दोबारा तय किया जाना चाहिए था।
चतुर्वेदी ने कहा, जीआरएपी पहले भी लागू किया गया था और कार्य योजना के तहत स्कूलों को बंद करना कोई नई बात नहीं है, यह हर साल होता है। ऐसे में केजरीवाल सरकार ने अपने अवकाश कार्यक्रम को संशोधित क्यों नहीं किया।
दिल्ली में शुरू होगी पर्यावरण बस सेवा: दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा, दिल्ली सरकार 'पर्यावरण बस सेवा' शुरू करेगी। इसमें 500 निजी सीएजनी बसों को शामिल किया जाएगा। इसके लिए छह सदस्यीय विशेष मॉनिटरिंग टीम का भी गठन किया गया है।
प्रदूषण का असर : मेट्रो लगाएगी 37 अतिरिक्त फेरे: प्रदूषण के बढ़ते ग्राफ से पैदा हुए हालात को देखते हुए दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन(डीएमआरसी) ने फेरे बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसके तहत मेट्रो के पूरे नेटवर्क पर सप्ताह के दिनों में मेट्रो 37 अतिरिक्त फेरे लगाएगी। फिलहाल मेट्रो रोजाना औसतन 4000 फेरे लगाती है। इससे यात्रियों को सार्वजनिक परिवहन की सुविधा के इस्तेमाल में भीड़भाड़ का कम सामना करना पड़ेगा। दिल्ली सरकार की ओर से अपनाए जा रहे उपायों के हिस्से के तौर पर डीएमआरसी की तरफ से कुछ और एहतियाती उपाय किए जा रहे हैं। मेट्रो नेटवर्क के साथ साथ मेट्रो स्टेशनों के लिए सभी निर्माण कार्यों को प्रतिबंध से छूट दी गई है। हालांकि इस दौरान निर्माण कार्यों के दौरान पर्यावरण संबंधी प्रोटोकॉल का पालन का सिलसिला जारी रहेगा।