व्यापारिक संस्थान, स्कूल एव कॉलेज खुलने के बाद दिल्ली मेट्रो में नज़र आने लगी हैं भीड़

Update: 2022-07-13 14:03 GMT

दिल्ली मेट्रो स्पेशल: कोरेाना के बाद अब एक बार फिर से मेट्रो में मुसाफिरों की संख्या बढऩे लगी है। दरअसल एक ओर जहां सभी व्यापारिक संस्थान खुल गए हैं तो वहीं स्कूल, कॉलेज व अन्य शैक्षणिक संस्थान भी अब पूरी तरह से खुल गए हैं। मेट्रो के सभी गेट भी खोले जा चुके हैं। पेट्रोल, डीजल, सीएनजी की महंगाई भी एक वजह है कि लोग निजी वाहनों को छोड़कर धीरे-धीरे मेट्रो में सफर कर रहे हैं।

दिल्ली मेट्रो के अधिकारियों के मुताबिक औसत दैनिक यात्रियों में पिछले तीन महीनों में इजाफा हुआ है। दिल्ली मेट्रो प्रबंध निदेशक विकास कुमार ने वृद्धि की पुष्टि करते हुए कहा कि कोरोना के कारण दुनियाभर में कई मेट्रो की सवारियों में करीब 20 फीसदी की गिरावट आयी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली मेट्रो में जुलाई में औसत दैनिक सवारियों की संख्या 42.64 लाख रही। उन्होने बताया कि जून में हालंाकि 41.90 लाख यात्रियों की आवाजाही हुई जबकि मई माह में 39.48 लाख दर्ज की गई। मेट्रो अधिकारियों ने बताया कि मुसाफिरों में धीरे-धीरे वृद्धि हुई है। बता दें कि कोरोना से पहले रोजाना औसतन 60 यात्री सफर कर रहे थे। विकास कुमार ने कहा कि कार्यालय और घर दोनों तरीके से चल रहे संस्थानों व स्कूलों के फिर से खुलने के कारण इन आंकड़ों में सुधार हुआ है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि दिसम्बर के अंत तक यह संख्या कोरोना के पहले वाले स्तर पर 60 लाख को छू लेगी।


वहीं कई यात्रियों ने बातचीत में माना कि पेट्रोल, डीजल, सीएनजी गैस महंगे होने की वजह से भी वह दूर के लिए मेट्रो का इस्तेमाल कर रहे हैं। विशेष तौर पर एनसीआर के इलाकों व कनाट प्लेस, चांदनी चौक, नई दिल्ली में आवजााही के लिए मेट्रो का इस्तेमाल कर रहे हैं। विवेक ने बताया कि हर सप्ताह दो हजार रूपए का पेट्रोल लग रहा है इसीलिए अब मेट्रो से आवाजाही एक हजार से भी कम पड़ रही है। कैब भी सीएनजी के बाद महंगी होने से लोग मेट्रो की सवारी कर रहे हैं। 

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