नगर निगम वार्ड परिसीमन के बाद हर विधानसभा में होंगे तीन वार्ड, कम होंगे 22 वार्ड
नगर निगम वार्ड के परिसीमन के बाद प्रत्येक विधानसभा में कम से कम तीन वार्ड बनेंगे।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नगर निगम वार्ड के परिसीमन के बाद प्रत्येक विधानसभा में कम से कम तीन वार्ड बनेंगे। गुरुवार को परिसीमन समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। जानकारी के मुताबिक, 2011 की जनगणना के समय दिल्ली की आबादी को आधार बनाकर ही परिसीमन किया जाएगा। प्रत्येक वार्ड की जनसंख्या (2011 की जनगणना के आधार पर) का आधार 65 हजार से अधिक होगा। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर पूरे क्षेत्र में यह जनसंख्या 10 फीसदी कम या ज्यादा हो सकती है। यह उस विधानसभा में कुल मतदाताओं व जनसंख्या के आधार पर तय होगा।
परिसीमन समिति के अध्यक्ष विजय देव ने बताया कि केंद्र सरकार के निर्देशानुसार परिसीमन के बाद कुल 250 वार्ड बनाए जाएंगे। मौजूदा समय में कुल 272 वार्ड हैं, जिसमें 22 वार्ड कम हो जाएंगे। बैठक में परिसीमन से जुड़े सभी हितधारकों जनगणना संचालन निदेशालय, भारत सरकार, भू-स्थानिक दिल्ली लिमिटेड (जीएसडीएल), दिल्ली नगर निगम, राजस्व विभाग समेत अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।
सभी को परिसीमन से जुड़े आंकड़े उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। चुनाव आयोग से विधानसभा वार पोलिंग स्टेशन व मतदाता, जनगणना संचालन निदेशालय से जनसंख्या के आंकड़े व जीएसडीएल से विधानसभा वार नक्शा उपलब्ध कराने को कहा गया है। एमसीडी समिति को सर्वे से लेकर अन्य जरूरी कामों में मदद करेगी।
40 विधानसभा में बनाने होंगे चार वार्ड
समिति ने यह भी तय किया कि एक वार्ड की सीमा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की सीमा के अंदर हो। मसलन एक वार्ड का क्षेत्र दो विधानसभा की सीमाओं के अंदर न आता हो। दिल्ली में कुल 70 विधानसभा हैं। अगर प्रत्येक विधानसभा में तीन वार्ड बनाए जाते हैं तो कुल 210 वार्ड बनेंगे। लेकिन कुल 250 वार्ड बनाएं जाने हैं तो यह तय है कि 40 विधानसभा में चार-चार वार्ड बनानें होंगे। यह विधानसभा कौन सी होंगी, यह उनके क्षेत्रफल और जनसंख्या के आधार पर तय होगा।
2016 में बदलाव नहीं
दिल्ली में वर्तमान में 272 वार्ड हैं। 2016 में वार्डों का परिसीमन किया गया था, तब वार्ड की संख्या में कोई बदलाव नहीं हुआ था। सिर्फ नई जनगणना के हिसाब से वार्ड की आबादी और सीमाओं को नए सिरे से तय किया गया था। वहीं, 2007 में वार्ड की संख्या 144 थी, जो परिसीमन के बाद बढ़ाकर 272 कर दी गई थी। नगर निगम 1958 में अस्तित्व में आया था।