दिल्ली | विपक्षी एकता के अभियान से आम आदमी पार्टी ने अब स्वयं को अलग कर लिया है। आपको बता दें कि केंद्र सरकार के अध्यादेश को लेकर कांग्रेस की चुप्पी से नाराज होकर आप ने यह कदम उठाया है। जिसके चलते पटना में बैठक से नाराज होकर आम आदमी पार्टी के संयोजक व दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल चुपचाप चले गए। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, सांसद राघव चड्ढा व संजय सिंह भी प्रेस वार्ता में नहीं दिखाई दिए।
आप नेताओं को ये बात नहीं लगी अच्छी
सीएम केजरीवाल चाहते थे कि अध्यादेश पर कांग्रेस स्थिति स्पष्ट करे। इस पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि किसी राज्य से संबंधित मसला विशेष पर बात नहीं होनी है। ये बात सीएम केजरीवाल, सीएम भगवंत मान व आप नेताओं को यह अच्छी नहीं लगी।
बैठक में 15 पार्टियां हुई थी शामिल
बैठक में 15 पार्टियां शामिल हुईं इनमें से 12 का प्रतिनिधित्व राज्यसभा में है। कांग्रेस को छोड़ अन्य सभी 11 दलों ने घोषणा की कि वे राज्यसभा में अध्यादेश का विरोध करेंगे।जिसके बाद अब आप ने पार्टी ने फेसबुक पेज पर बयान जारी कर कहा कि आम आदमी पार्टी के लिए समान विचारधारा वाले दलों की भविष्य में होने वाली बैठकों में भाग लेना मुश्किल होगा।
बता दें कि कई दलों ने कांग्रेस से काले अध्यादेश की खुले तौर पर निंदा करने का आग्रह किया, लेकिन कांग्रेस ने इन्कार कर दिया। वहीं कांग्रेस की दिल्ली और पंजाब इकाई ने घोषणा की है कि इस मुद्दे पर मोदी सरकार का समर्थन करना चाहिए। कांग्रेस नेताओं ने संकेत दिया कि पार्टी राज्यसभा में अध्यादेश पर मतदान से दूर रह सकती है। आप ने कहा कि जब तक कांग्रेस सार्वजनिक रूप से अध्यादेश का विरोध नहीं करती है, तब तक कांग्रेस के साथ किसी भी विपक्षी एकता की बैठक में भाग लेना मुश्किल होगा।