78% ग्रामीण माता-पिता लड़कियों को देना चाहते हैं उच्च शिक्षा

Update: 2023-08-10 06:13 GMT

नई दिल्ली: ग्रामीण भारत से समावेशी वतावरण की दिशा में प्रगति की एक उम्मीद जगाने वाला संकेत मिला है। ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया और संबोधि रिसर्च एंड कम्युलिकेशंस प्राइवेट लिमटेड के बीच एक सहयोग, डिवेलपमेंट इंटेलिजेंस यूनिट (डीआईयू) की एक रिपार्ट के अनुसार ग्रामीण समुदाय के अभिभावकों का दृढ़ विश्वास है कि लडक़ा हो या लडक़ी, उनकी शैक्षिक आकाक्षाओं में बाधा नहीं बनना चाहिए। इस स्टडी में यह बात सामने आई कि 78 फीसदी लड़कियों और 82 फीसदी लडक़ों अभिभावक अपने बच्चों को स्नातक या उससे ऊपर के स्तर तक पढ़ाना चाहते हैं। यह स्टडी भारत के 20 राज्यों के ग्रामीण समुदायों में 6 से 14 वर्ष के बच्चों पर आधारित थी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नई दिल्ली में ‘ग्रामीण भारत में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति-2023’ शीर्षक वाली रिपोर्ट लांच की।

सर्वेक्षण में 6,229 अभिभावकों की प्रतिक्रियाएं शामिल थीं, जिनमें से 6,135 के स्कूल जाने वाले छात्र थे, 56 के ऐसे बच्चे थे, जिन्होंने स्कूल छोड़ दिया था और 38 ऐसे बच्चे थे जिन्होंने कभी स्कूल में दाखिला नहीं लिया था। शिक्षा मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक नीति के एक छात्र और भारत के शिक्षा क्षेत्र के प्रभारी के रूप में, मैं हर दिन नए विषयों का अध्ययन करता हूं और सीखने का प्रयास करता हूं। ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया, एजुकेशन के लीड, जावेद सिद्दीकी ने कहा कि इस बेहद सकारात्मक संकेत में ग्रामीण क्षेत्र में शैक्षिक विकास को और मजबूत करने की क्षमता है। हमें उम्मीद है कि हमार नीति निर्माता, शैक्षणिक संस्थान और अन्य हितधारक एक समावेशी वातावरण तैयार करने की इन आम जरूरतों और आकांक्षाओं को स्वीकार करेंगे, जो ग्रामीण भारत में हर बच्चे के लिए ग्रोथ और आगे बढऩे की राह सुनिश्चित करता है।

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