Sri Lankan के 200 छात्रों को प्रतिष्ठित भारतीय संस्थानों में मिलेगी पूर्ण छात्रवृत्ति
New Delhi। भारत ने अपनी ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति का अनुसरण करते हुए शैक्षणिक सत्र 2025-2026 के लिए श्रीलंका के 200 मेधावी छात्रों को प्रतिष्ठित भारतीय संस्थानों में पूर्ण-वित्तपोषित छात्रवृत्ति देने का फैसला किया है। कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग ने इन छात्रवृत्तियों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं।
ये छात्रवृत्तियां प्रतिष्ठित भारतीय संस्थानों और विश्वविद्यालयों में विभिन्न विषय क्षेत्रों में अध्ययन के लिए दी जा रही हैं, हालांकि इसमें मेडिकल/पैरामेडिकल, फैशन डिजाइन और कानून पाठ्यक्रम शामिल नहीं हैं। कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग ने एक बयान में कहा ये छात्रवृत्तियां कई योजनाओं के तहत दी गई हैं, जिनमें नेहरू मेमोरियल छात्रवृत्ति योजना भी शामिल है। यह योजना विभिन्न क्षेत्रों जैसे इंजीनियरिंग, विज्ञान, व्यवसाय, अर्थशास्त्र, वाणिज्य, मानविकी और कला आदि में स्नातक/स्नातकोत्तर और पीएचडी पाठ्यक्रमों को कवर करती है।
उच्चायोग के अनुसार इसके अलावा मौलाना आज़ाद छात्रवृत्ति योजना है, जिसमें इंजीनियरिंग, विज्ञान और कृषि को प्राथमिकता देने वाले मास्टर डिग्री पाठ्यक्रम शामिल हैं। इसके साथ ही राजीव गांधी छात्रवृत्ति योजना में विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में स्नातक पाठ्यक्रम शामिल हैं। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम राष्ट्रमंडल छात्रवृत्ति योजना में इंजीनियरिंग, विज्ञान, व्यवसाय, अर्थशास्त्र, वाणिज्य, मानविकी और कला आदि में स्नातक/स्नातकोत्तर और पीएचडी पाठ्यक्रम शामिल हैं।
उच्चायोग ने कहा प्रत्येक योजना में पाठ्यक्रम की पूरी अवधि के लिए पूर्ण शिक्षण शुल्क, मासिक भरण-पोषण भत्ता और पुस्तकों और स्टेशनरी के लिए वार्षिक अनुदान शामिल है। इसके अलावा, भारत में निकटतम गंतव्य के लिए हवाई किराया और देश के विभिन्न हिस्सों में शैक्षिक पर्यटन के लिए वार्षिक अनुदान के अलावा कई अन्य सहायक लाभ भी प्रदान किए जाएंगे। चयनित उम्मीदवारों को संबंधित परिसर के अंदर छात्रावास की सुविधा भी प्रदान की जाएगी। उम्मीदवारों का चयन श्रीलंका सरकार के शिक्षा मंत्रालय के परामर्श से किया जाएगा।
बता दें कि भारत अपनी ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति का पालन करते हुए शिक्षा, स्वास्थ्य एवं बुनियादी ढांचा सहित कई क्षेत्रों में श्रीलंका की निरंतर मदद कर रहा है। भारत ने डिजिटल दुनिया में बदलते शिक्षा प्रारूप के बीच हाल ही में श्रीलंका के स्कूलों में तीन महीने लंबे चले ‘शिक्षक-प्रशिक्षण कार्यक्रम’ में दो हजार श्रीलंकाई शिक्षकों को प्रशिक्षित किया था।