हाईकोर्ट से एक बार फिर मिला नोएडा प्राधिकरण को झटका, किसानों को जमीन पर मिला स्टे, जानें पूरा मामला

नोएडा प्राधिकरण को एक बार फिर से हाईकोर्ट से झटका लगा है। जिनको प्राधिकरण ने अपनी जमीन बताते हुए उन पर हुए निर्माण को अवैध ठहराते हुए ध्वस्त किया जा रहा था।

Update: 2022-06-10 04:26 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नोएडा प्राधिकरण को एक बार फिर से हाईकोर्ट से झटका लगा है। जिनको प्राधिकरण ने अपनी जमीन बताते हुए उन पर हुए निर्माण को अवैध ठहराते हुए ध्वस्त किया जा रहा था। उनको हाईकोर्ट ने किसानों की जमीन माना है और वहां पर यथास्थिति बनाये रखने के लिए स्टे दे दिया है। इससे किसान खुश हैं। वजीदपुर में किसान नवल चौहान की जमीन पर एक माह पूर्व प्राधिकरण ने बुलडोजर चलाते हुए ध्वस्त कर दिया था।

प्राधिकरण की इस कार्रवाई के विरोध में भारतीय किसान परिषद के अध्यक्ष सुखवीर खलीफा और अन्य किसान नेता मौके पर पहुंच गये थे और वहीं पर दोबारा से निर्माण कार्य करा दिया था। इस मामले को लेकर नवल ने हाईकोर्ट में अपील की थी और हाईकोर्ट से उनके पक्ष में फैसला आ गया है। नवल ने बताया कि हाईकोर्ट में उन्होंने अपने कागज रखते हुए कहा कि इस जमीन की रजिस्ट्री 1995 और 1996 में हुई है और प्राधिकरण की अधिसूचना 1997 में हुई थी।
इस जमीन पर वह तभी से रह रहे हैं और अब प्राधिकरण जबरन उनके घरों को ध्वस्त कर रहा है। उनके पास 818 मीटर इस जमीन के अलावा कोई जमीन नही है। जिस पर हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दे दिया है। इसके अलावा आगाहपुर गांव के किसान की आबादी से जुड़े मामले में फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा है, कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को रोका जाए, वह इसे कब्जा नहीं मानते।
सुखवीर खलीफा ने बताया कि आगहापुर गांव के किसान रामकिशन और अन्य ने प्रयागराज हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। किसानों ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 1992 में नोएडा अथॉरिटी ने खसरा सं...767 में जमीन का अधिग्रहण कर लिया। इस जमीन पर किसान परिवार की आबादी थी। किसानों ने मुआवजा नहीं लिया था। प्राधिकरण ने वर्ष 1997 में अवार्ड घोषित कर दिया। इस जमीन पर रामकिशन और उनके परिवार का कब्जा है।
प्राधिकरण ने रामकिशन और उनके परिवार को अतिक्रमणकारी घोषित करते हुए निर्माण के ध्वस्तीकरण आदेश जारी कर दिया। इसके खिलाफ वह हाईकोर्ट गए थे। वहां पर हुई सुनवाई में अदालत ने माना है कि जमीन पर किसान का कब्जा है। उचित रीति से भूमि का अधिग्रहण नहीं किया गया है। जमीन पर किसान परिवार रह रहा है। लिहाजा, ध्वस्तीकरण का आदेश उचित नहीं है। कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण के आदेश पर रोक लगा दी है।
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