भारत में वाइट फंगस के कई मामले सामने आ रहे, ऐसा में अब यह ब्लैक फंगस से कहीं ज़्यादा गंभीर साबित हो सकता है
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती एक 49 वर्षीय महिला में यह मामला सामने आया
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत में रिकवर हो रहे कोविड-19 रोगियों में ब्लैक फंगस संक्रमण के बढ़ते मामलों के साथ-साथ, अब वाइट फंगस संक्रमण के भी कई मामले सामने आ रहे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि वाइट फंगस ब्लैक फंगस से कहीं ज़्यादा गंभीर साबित हो सकता है।
कोरोना वायरस संक्रमित मरीज में व्हाइट फंगस के चलते फूड पाइप, छोटी आंत और बड़ी आंत में छेद होने का दुनिया में पहला मामला सामने आया है। दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती एक 49 वर्षीय महिला में यह मामला सामने आया।
हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि वाइट फंगस म्यूकोरमायकोसिस यानी ब्लैक फंगस से कहीं ज़्यादा ख़तरनाक साबित हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्लैक फंगस जहां साइनल, नाक, आंखों और दिमाग़ तक फैल सकता है, वहीं वाइट फंगस शरीर के कई अंगों तक संक्रमण को फैला सकता है। ख़तरनाक वाइट फंगस फेफड़ों, नाखूनों, त्वचा, पेट, किडनी, दिमाग़ और मुंह में फैल सकता है। अभी तक देश में ब्लैक फंगस के 9000 मामले सामने आ चुके हैं, वहीं इस संक्रमण से 250 से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है। ये मामले इसीलिए भी ज़्यादा जानलेवा साबित हो रहे हैं, क्योंकि इसकी एंटीफंगल दवाई Amphotericin B की कमी हो गई है।
क्या है वाइट फंगल इंफेक्शन?
वाइट फंगल संक्रमण का नाम मरीजों में होने वाले सफेद रंग के घावों के नाम पर रखा गया है। ये घाव इसोफेगस को प्रभावित करते हैं, जिसकी वजह से खाने को निगलने में कठिनाई होती है। सफेद पैच आमतौर पर मुंह में भी पाए जाते हैं।
किन लोगों को है वाइट फंगल इंफेक्शन का खतरा?
जिन मरीज़ों का इम्यून सिस्टम कमज़ोर होता है, मधुमेह और कैंसर के मरीज़ और वे मरीज़ जिनका ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ हो, ऐसे लोगों में वाइट फंगल इंफेक्शन का जोखिम बढ़ जाता है। फंगल संक्रमण वातावरण में मौजूद सांचों के कारण हो सकता है, अनुचित रूप से निष्फल चिकित्सा उपकरण और व्यक्तिगत स्वच्छता की कमी से भी हो सकता है।
वाइट फंगल इंफेक्शन के लक्षण
कैंडिडिआसिस यानी वाइट फंगस आम तौर पर मुंह, गले, वजाइना में होनेवाले संक्रमण हैं। बुखार आना, ठंड लगना इसके आम लक्षण हैं। हालांकि इससे प्रभावित अंग पर भी इसके लक्षण अलग हो सकते हैं।
वाइट फंगल का कैसे पता लगाया जाता है?
जिन मरीज़ों में सफेद फंगल संक्रमण की आशंका होती है, उनकी जांच अच्छी तरह से होनी चाहिए। उनके बलगम का फंगस कलचर टेस्ट होना चाहिए ताकि उनके शरीर में फंगल संक्रमण का पता लगाया जा सके। एक्स-रे या छाती के स्कैन से कभी-कभी अनुमान लगाया जा सकता हैं कि संक्रमण कितना गंभीर है और महत्वपूर्ण अंगों को कैसे प्रभावित किया है। एक्सपर्ट्स के मुताबित, वाइट फंगल इंफेक्शन फेफड़ों को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है।