कोरोना को लेकर अब तक का सबसे चौंकाने वाला दावा, संक्रमित मरीजों के दिमाग पर कही ये बड़ी बात

Update: 2020-10-28 07:06 GMT

कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) को लेकर दिनोंदिन नए शोध सामने आ रहे हैं. दुनिया भर में कहर बरपा रहे कोरोना वायरस (Covid-19 Pandemic) की दवा और वैक्‍सीन विकसित करने का काम भी जारी है. इस बीच एक नए शोध में कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus Brain) से ठीक होने वाले लोगों के मरीजों के मस्तिष्‍क के संबंध में बड़ा दावा किया गया है. 

COVID-19 से उबर चुके लोगों के दिमाग पर भी वायरस का असर हो सकता है. इतना ही नहीं संक्रमण के सबसे बुरे मामले में तो मानसिक गिरावट इतनी हो सकती है कि लोग 10 साल की उम्र तक पीछे जा सकते हैं. इंपीरियल कॉलेज लंदन के डॉक्टर एडम हैम्पशायर के नेतृत्व में 84 हजार से अधिक लोगों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि कुछ गंभीर मामलों में, कोरोना वायरस संक्रमण के कारण महीनों के लिए संज्ञानात्मक या ज्ञान-संबंधी कमी (cognitive deficits) आई. कॉग्निटिव डेफिसिट्स से मतलब जानने, तर्क करने और याददाश्‍त की क्षमता में कमी आना है.

शोधकर्ताओं ने अपने निष्कर्षों में लिखा है, 'हमारे विश्लेषण बताते हैं कि COVID-19 के क्रॉनिक कॉग्निटिव परिणाम हैं. कोरोना के लक्षण जाने के बाद भी लोगों के दिमाग की क्षमताएं पहले जैसी नहीं रहीं थीं, बल्कि उनमें कमी आई थी.'

ऐसे किया अध्‍ययन

संज्ञानात्मक परीक्षण में मापा जाता है कि मस्तिष्क कितनी अच्छी तरह से कार्य करता है- जैसे कि शब्दों को याद रखना या डॉट्स को जोड़ना आदि. अल्जाइमर जैसी बीमारियों में मस्तिष्क के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए ऐसे ही परीक्षण किए जाते हैं.

हैम्पशायर की टीम ने भी 84,285 लोगों के ऐसे परीक्षणों के परिणामों का विश्लेषण किया तो पता चला कि लोगों की इस क्षमता पर पर्याप्‍त प्रभावी असर हुआ था. ऐसे लोग जिन्‍हें COVID-19 के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था उनमें सबसे बुरे मामलों में 20 साल से 70 साल के लोगों में संज्ञानात्‍मक क्षमता में 10 साल की औसत गिरावट देखी गई.

वैज्ञानिक इस अध्‍ययन में सीधेतौर पर शामिल नहीं थे इसलिए इसके परिणामों को कुछ सावधानी के साथ देखा जाना चाहिए.

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