रिसर्च में दावा, जिन लोगों को कोरोना पहले हो चुका उनमें 85 फीसदी तक संक्रमित होने का खतरा कम

जिन लोगों ने वैक्सीन लगवाई उनमें दोबारा संक्रमण होने के बाद मौत के मामले नहीं देखे गए

Update: 2021-06-04 18:12 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना से संक्रमित हो चुके लोगों में अगले 10 महीने तक दोबारा संक्रमण का खतरा न के बराबर है। यह बात यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की स्टडी में सामने आई है। रिसर्च के मुताबिक, जिन लोगों को कोरोना का संक्रमण पहले हो चुका था, अक्टूबर से फरवरी के बीच उनमें 85 फीसदी तक संक्रमित होने का खतरा कम मिला।


री-इंफेक्शन के मामले कम
शोधकर्ता मारिया क्रिटीकोव का कहना है, कोरोना का संक्रमण मरीजों को उच्च स्तर की सुरक्षा देता है। एक बार संक्रमित होने के बाद री-इंफेक्शन का खतरा काफी कम है।

रिसर्च में औसतन 86 साल की उम्र वाले 682 केयर होम रेसिडेंट और 1,429 स्टाफ मेम्बर्स को शामिल किया गया। पिछले साल जून और जुलाई में हुई जांच में सामने आया कि इनमें से एक तिहाई लोगों में कोविड एंटीबाडीज होने के लक्षण दिखे।

री-इंफेक्शन के बाद नहीं मिले मौत के मामले
री-इंफेक्शन के मामलों पर एम्स ने हाल ही में एक रिसर्च की है। रिसर्च के मुताबिक, जिन लोगों ने वैक्सीन लगवाई उनमें दोबारा संक्रमण होने के बाद मौत के मामले नहीं देखे गए। कोरोना की दूसरी लहर में रीइंफेक्शन के मामले पर एम्स की यह पहली ऐसी स्टडी है। जिन मरीजों में दोबारा संक्रमण हुआ उनमें न तो गंभीर लक्षण नहीं दिखे और न ही उनकी हालत नाजुक हुई।

एम्स ने यह स्टडी इसी साल अप्रैल-मई के दौरान की थी, जब कोरोना की दूसरी लहर पीक पर थी और हजारों लोग जान गंवा चुके थे।

औसतन 37 साल के मरीजों पर हुई रिसर्च
रिसर्च में शामिल हुए 63 मरीजों की औसतम उम्र 37 साल थी। इनमें 41 पुरुष और 22 महिलाएं थी। वैक्सीन लेने के बाद जिन 63 मरीजों को दोबारा संक्रमण हुआ उनमें से 38 मरीज टीके के दोनों डोज ले चुके थे। 27 मरीजों ने वैक्सीन की एक डोज ही ली थी। 63 में से 10 ने कोविशील्ड और 53 ने कोवैक्सीन ले रखी थी।


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