Anal Swab: चीन में कोरोना जांच पर विरोध, शरीर के इस हिस्से का ले रहे है स्वैब, विशेषज्ञों ने कही ये बात
चीन ने कोरोना की जांच का नया तरीका निकाल लिया है. वहां की सरकार अब लोगों के शरीर के ऐसे हिस्से से स्वैब ले रही है, जिसके खिलाफ आवाज उठने लगी है. हालांकि, चीन के मेडिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि उनका तरीका कोरोना की पुष्टि के लिए सही है. चीन में अब नाक के साथ-साथ एनल स्वैब (Anal Swab) यानी गुदा से स्वैब लेकर कोरोना की जांच की जा रही है.
वेबसाइट रेडियो फ्री एशिया के मुताबिक इसकी शुरुआत चीन की राजधानी बीजिंग के डाक्सिंग जिले से हुई. जैसे ही लोगों को इस जांच के लिए कहा गया तो लोग विरोध करने लगे. इस तरह के जांच के खिलाफ आवाज उठने लगी है. हालांकि, बीजिंग के जांच केंद्रों में एनल स्वैब (Anal Swab) के जरिए ही जांच हो रही है.
चीन के हेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि एनल स्वैब (Anal Swab) से जांच सिर्फ उन्हीं लोगों की हो रही है, जो हाई रिस्क वाले मरीज लगते हैं. यानी उन्हें कोरोना का गंभीर संक्रमण हो सकता है. क्योंकि इस तरीके से कोरोना वायरस की मौजूदगी ज्यादा पुख्ता और सटीक होती है.
यूआन अस्पताल के सीनियर डॉक्टर ली तोंगजेंग ने बताया कि एनल स्वैब (Anal Swab) टेस्ट गले या नाक के स्वैब टेस्टिंग से ज्यादा संवेदनशील है. इससे ज्यादा आसानी ये पता चलता है कि कोई इंसान कोरोना संक्रमित है या नहीं. इसके स्वैब से ज्यादा सटीकता से कोरोना की पुष्टि होती है.
ली ने बताया कि कुछ एसिम्टोमैटिक कोरोना मरीज जल्दी ठीक हो जाते हैं. उनके गले या नाक में तीन से पांच दिन बाद वायरस नहीं मिलता. लेकिन वायरस उनके शरीर में रहता है. इसलिए एनल स्वैब (Anal Swab) से जांच करने का फायदा होता है. हमें ये स्पष्ट तौर पर पता चल जाता है कि वायरस शरीर में है या नहीं.
ली तोंगजिंग ने बताया कि एनल स्वैब (Anal Swab) जांच से कोरोना सैंपलों को लेकर कोई गड़बड़ी की शिकायत भी नहीं आएगी. साथ ही नाक या गले के स्वैब की तुलना में गुदा से स्वैब लेकर जांच करने में गलती की आशंका कम रहती है.
बीजिंग में एक स्टूडेंट के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद वहां के सभी स्कूलों में एनल स्वैब (Anal Swab) जांच कराना जरूरी कर दिया गया है. स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बीजिंग के डाक्सिंग जिले में कुछ रिहायशी इलाकों को बंद कर दिया था. पिछले एक हफ्ते से बीजिंग में बड़े पैमाने पर एनल स्वैब (Anal Swab) से कोरोना की जांच हो रही है.
पूरे बीजिंग में कई तरह के प्रतिबंध लगे हुए हैं. आपको कहीं आना-जाना है तो पहले सरकार से अनुमति लेनी होगी. मेडिकल जांच करानी होगी, तभी आप कहीं आ जा सकते हैं. बीजिंग के फार्मासिस्ट पांग शिन्हुआ कहते हैं कि स्टूल सैंपल यानी मल के सैंपल से कोरोना की जांच ज्यादा तेज और आसान है.
पांग ने बताया कि जिसे कोरोना होता है उसे डायरिया की दिक्कत आती है. इसलिए उनके मल के सैंपल में कोरोना के होने की पूरी संभावना रहती है. हमेशा गले और नाक के स्वैब से काम नहीं चलता, क्योंकि कोरोना वायरस शरीर के ऊपरी हिस्सों को छोड़कर निचले हिस्से में जाकर बैठ जाता है.
बुधवार को विरोध तब शुरू हुआ जब एक कोरोना मरीज के डायग्राम्स, वीडियो क्लिप्स वायरल हो गए. इसमें उसका एनल स्वैब (Anal Swab) लिया जा रहा था. इसके बाद चीन की सोशल मीडिया पर बवाल हो गया. अब कुछ लोग जो लूनर न्यू ईयर पर कहीं आने-जाने का प्लान बना रहे थे, वो उसे कैंसिल कर रहे हैं, ताकि इस बेइज्जती से बच जाएं.