देश में हर तीसरे व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन की कम से कम एक डोज लगाई जा चुकी है सरकार का दावा

देश में हर तीसरे व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन की कम से कम एक डोज लगाई जा चुकी है। वहीं टीकाकरण के लिए योग्य 18 वर्ष और उससे अधिक आयुवर्ग की आधी आबादी को पहली डोज लगाई जा चुकी है।

Update: 2021-08-20 18:37 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | देश में हर तीसरे व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन की कम से कम एक डोज लगाई जा चुकी है। वहीं टीकाकरण के लिए योग्य 18 वर्ष और उससे अधिक आयुवर्ग की आधी आबादी को पहली डोज लगाई जा चुकी है। दोनों डोज लेने वाले लोग अभी कुल आबादी के 10 फीसद से भी कम हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अक्टूबर से वैक्सीन बहुतायत में उपलब्ध होगी और उसके बाद टीकाकरण की रफ्तार और भी गति पकड़ेगी।स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि गुरुवार तक देश में कोरोना रोधी वैक्सीन की कुल 57 करोड़ से ज्यादा डोज लगाई जा चुकी हैं।

33.3 फीसद लोगों को एक डोज दी गई
इनमें साढ़े 44 करोड़ से ज्यादा पहली और करीब 13 करोड़ दूसरी डोज शामिल हैं। इस तरह से कुल आबादी के 33.3 फीसद लोगों को कम से कम एक डोज और 9.6 फीसद को दोनों डोज लग गई हैं। गौरतलब है कि देश में फिलहाल कोरोना टीकाकरण अभियान के तहत 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन दी जा रही है। इस आयुवर्ग को लोगों की संख्या लगभग 94 करोड़ है।
तेजी से बढ़ेगी टीकाकरण की रफ्तार
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार टीकाकरण के ये आंकड़े जुलाई में ही पूरे हो जाते, लेकिन भारत बायोटेक के बेंगलुरु इकाई में गड़बड़ी के कारण वैक्सीन की सप्लाई बाधित हुई। इसके बावजूद जुलाई में 13.45 करोड़ डोज लगाई गईं और अगस्त के 19 दिनों में 10.20 करोड़ से अधिक डोज दी जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि अगस्त के अंत या सितंबर तक भारत बायोटेक की बेंगलुरु इकाई में उत्पादन शुरू हो जाएगा और उसके बाद टीकाकरण की रफ्तार और तेजी से बढ़ेगी।
अक्टूबर से मांग के मुताबिक सप्लाई
अधिकारी ने बताया कि अभी राज्यों को कोटे के हिसाब से वैक्सीन की सप्लाई की जाती है। परंतु, अक्टूबर से यह कोटा खत्म हो सकता है और राज्य अपनी क्षमता के अनुसार जितनी चाहे उतनी वैक्सीन लगा सकते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि तब प्रतिदिन टीकाकरण की रफ्तार तीन गुना बढ़कर 1.5 करोड़ से भी अधिक हो सकती है।
अपनी वैक्सीन के बलबूते चल रहा अभियान
स्वास्थ्य मंत्रालय की माने तो टीकाकरण की यह रफ्तार स्वदेशी टीके के सहारे ही हासिल करने की है। दुनिया भर की सभी वैक्सीन के लिए दरवाजे खोलने और ब्रीज ट्रायल से छूट के बावजूद सिर्फ रूसी स्पुतनिक-वी वैक्सीन ही आ सकी है। उसकी भी सप्लाई सुचारू नहीं हो पाई है। मुख्य रूप से कोविशील्ड और कोवैक्सीन के सहारे टीकाकरण अभियान चल रहा है।
जायडस कैडिला की वैक्सीन को मिली मंजूरी
 जल्द मिलने की उम्मीद है। इनमें से एक जायडस कैडिला की वैक्सीन को भारत के दवा महानियंत्रक (डीसीजीआइ) से इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी भी मिल गई है। तीन डोज वाली यह वैक्सीन 12 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को लगाई जाएगी। यह दुनिया की पहली डीएनए आधारित वैक्सीन है। यह सार्स-सीओवी-2 वायरस के स्पाइक प्रोटीन का उत्पादन करती है और मजबूत प्रतिरक्षा प्रदान करती है।
जल्‍द मिलेगी एक और वैक्‍सीन
इसके अलावा बायोलाजिकल ई की वैक्सीन का ट्रायल पूरा हो चुका है। सितंबर में कंपनी इसके इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए आवेदन कर सकती है। गौरतलब है कि सरकार बायोलाजिकल ई को 30 करोड़ डोज के लिए एडवांस पेमेंट भी कर चुकी है।
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