कोरोना के साथ टीबी से बचाव में भी मिलेगी मदद ,हवा में ही रोगाणुओं को खत्म कोशिस जारी

हवा में ही रोगाणुओं को खत्म करने की तैयारी, कोरोना के साथ टीबी से बचाव में भी मिलेगी मदद

Update: 2021-08-13 23:18 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना वायरस और क्षयरोग यानी टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) जैसी गंभीर बीमारियों का फैलाव जिस तरह से हवा के जरिए हो रहा है, उसे देखते हुए विज्ञानियों ने अब हवा में ही रोगाणुओं को खत्म करने की तकनीक विकसित करने पर काम शुरू कर दिया है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), मद्रास ब्रिटेन के उच्च शिक्षण संस्थान की मदद से इस दिशा में शोध कर रहा है। एक ऐसे सशक्त और किफायती बायो-एरोसोल प्रोटेक्शन सिस्टम बनाने की कोशिश हो रही है, जो बंद कमरों, दफ्तरों और अस्पतालों आदि के लिए काफी उपयोगी होगा।

भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय इस प्रोजेक्ट में आइआइटी, मद्रास की मदद कर रहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत अल्ट्रावायलेट-सी रेडिएशन के इस्तेमाल से हवा को साफ करने में बहुत हद तक सफलता मिली है, लेकिन अभी इस को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। अब तक के शोध यह साफ हो गया है, कि इसके इस्तेमाल से वायरस और हवा में फैलने वाले दूसरे रोगाणुओं को नष्ट करने की प्रचुर क्षमता है। भारत जैसे देश के लिए फिलहाल इसे काफी उपयोगी माना जा रहा है, क्योंकि हवा को साफ करने के लिए अभी जो तकनीक है, वह काफी मंहगी है। मौजूदा तकनीक का रखरखाव भी महंगा है, जबकि जिस तकनीक पर काम हो रहा है वह सस्ती होने के साथ ही उसका रखरखाव भी किफायती होगा।

कोरोना संक्रमण ने दिखाई राह

प्रोजेक्ट से जुड़े आइआइटी, मद्रास के प्रोफेसर अब्दुल समद के मुताबिक कोरोना संकट के दौरान हम सभी इस बात से डर गए थे कि हवा में मौजूद रोगाणुओं से कैसे बचा जाए। इसके बाद ही इस दिशा में काम शुरू किया गया था। इसमें प्रोजेक्ट में तकनीकी मदद के लिए ब्रिटेन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी और चेन्नई स्थित बेल्लोर प्रौद्योगिकी संस्थान(वीआइटी) के साथ भी करार किया गया है।

एम्स के निदेशक ने कहा, कोरोना वायरस की तीसरी लहर लोगों के व्यवहार पर निर्भरएम्स के निदेशक ने कहा, कोरोना वायरस की दूसरी लहर खत्म नहीं हुई है, तीसरी लहर लोगों के व्यवहार पर निर्भर

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उपभोक्ताओं का बढ़ेगा भरोस प्रोफेसर समद के मुताबिक इस प्रोजेक्ट के जरिये एक ऐसा सिस्टम बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है जो उपभोक्ताओं के भरोसे को मजबूती दे। वैसे तो मौजूदा समय में बाजार में हवा में मौजूद रोगाणुओं से बचाव को लेकर अलग-अलग तरह की कई तकनीक उपलब्ध है जिसे लेकर उपभोक्ता सदैव भ्रम में ही रहते हैं, यानी यह सुरक्षा दे रही है यह नहीं, लेकिन इस नई तकनीक में उपभोक्ता खुद देख सकेंगे कि उन्हें सुरक्षा मिल रही है।कोरोना के साथ टीबी से बचाव में भी मिलेगी मदद

हर साल टीबी से होती हैं लाखों मौतें

गौरतलब है कि कोरोना महामारी में अब तक देश में चार लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं टीवी से भी हर साल के देश को लाखों को लोग दम तोड़ देते है। एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2019 में देश में 4.45 लाख लोगों की टीबी की गंभीर बीमारी से जान गंवानी पड़ी। टीबी के रोगाणु हवा से ही फैलते हैं।

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