जम्मू के सीमावर्ती इलाकों में तैनात पूर्व सैनिकों की टीम दे रही कोरोना के खिलाफ जंग में अपना अहम योगदान

देश के लिए कई लड़ाइयां लड़ चुके यह सैनिक इस बार कोरोना के खिलाफ जारी जंग में एक बार फिर से देश सेवा में जुटे हैं

Update: 2021-05-25 12:49 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | जम्मू के सीमावर्ती इलाकों में रह रहे पूर्व सैनिक इन दिनों कोरोना के खिलाफ जारी जंग में अपना अहम योगदान दे रहे हैं. देश के लिए कई लड़ाइयां लड़ चुके इन सैनिकों का दावा है कि इस समय देश में युद्ध से भी बदतर स्थिति है, क्योंकि किसी को यह नहीं पता कि कोरोना रूपी यह दुश्मन कौन है और कहां है.

जम्मू में पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे पलावाला सेक्टर में इन दिनों पूर्व सैनिक एक मिशन पर है. देश के लिए 1965, 1971 और 1999 की लड़ाइयां लड़ चुके यह सैनिक एक बार फिर देश सेवा में जुटे हैं और इस बार यह सैनिक कोरोना के खिलाफ जारी जंग में अपना सहयोग दे रहे हैं.

महामारी से लोगों को निजात दिलाने के लिए जिला सैनिक बोर्ड ने भी कमर कस ली है

दरअसल, कोरोना प्रदेश में तेजी से अपने पांव पसार रहा है और अब जम्मू के सीमावर्ती इलाकों में इस महामारी से लोगों को निजात दिलाने के लिए जिला सैनिक बोर्ड ने भी कमर कस ली है. जिला सैनिक बोर्ड ने जम्मू के सीमावर्ती इलाकों में रह रहे पूर्व सैनिकों को 10 सदस्यों की एक समिति बनाने को कहा है और इस समिति को यहां रह रहे लोगों तक करोना काल में मदद पहुंचाने की हिदायत की है.

जम्मू के पलावाला में 10 सदस्यों की सैनिक कमेटी का दावा है कि वह इस करोना काल में इस इलाके में रह रहे सभी लोगों से संपर्क में है और अगर उन्हें कहीं से भी किसी शख्स के बीमार होने की सूचना मिलती है तो वह तुरंत इलाके के डॉक्टर के साथ जाकर उसकी जांच में जुट जाते हैं.

पूर्व सैनिक करोना से बचने के तरीकों की जानकारी दे रहे हैं

गौरतलब है कि जम्मू का पलावाला से हर घर से कोई ना कोई शख्स सेना में अपनी सेवाएं दे रहा है. यहां करोना सेवा में जुटे इन सैनिकों का दावा है कि देश में इस समय युद्ध से बदतर स्थिति है क्योंकि युद्ध में दुश्मन का पता होता है लेकिन मौजूदा हालातों में करोना नाम की इस बीमारी का किसी को कोई अनुमान नहीं है.

वहीं इस टीम के साथ घर-घर जा रहे इलाके के डॉ पंकज का दावा है कि वो पहले लोगों की पंचायत घरो से हिस्ट्री ली जाती है. अगर परिवार में किसी को कोरोना पॉजिटव पाया जाता है तो उनके परिवार का टेस्ट किया जाता है और अगर किसी में और लक्षण होते हैं तो उसका दूसरे दिन भी टेस्ट होता है. इसके बाद उनकी दवाइयां शुरू की जाती है अगर कोई मरीज नेगेटिव आता है तो उसे भी आइसोलेशन में रखा जाता है.

उनका दावा है कि इस मुहिम में पूर्व सैनिकों की बहुत मदद मिलती है. डॉ पंकज दावा कर रहे हैं कि पूर्व सैनिक न केवल इलाके में घर-घर जाकर लोगों को करोना से बचने के तरीकों की जानकारी दे रहे हैं, बल्कि इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए जरूरी माने जाने वाले कांटेक्ट ट्रेसिंग में भी काफी मददगार साबित हो रहे हैं.

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