जांजगीर-चांपा: कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा ने मंगलवार को गोधन न्याय योजना की जनपद पंचायत एवं नगरीय निकायवार समीक्षा बैठक ली। बैठक में उन्होंने कहा कि गौठान में पंचायत एवं ग्रामीण विकास, रेशम विभाग, कृषि विभाग, पशुपालन विभाग, क्रेडा के अधिकारी स्वयं जाकर कार्य की मॉनिटरिंग करें और जहां जिस कार्य की जरूरत है उसकी रिपोर्ट तैयार कर प्रस्तुत करें। इस दौरान बैठक में मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. फरिहा आलम मौजूद थी।
कलेक्टर श्री सिन्हा ने कहा कि गौठान में नियमित रूप से गोबर की खरीदी होना चाहिए। किसी भी गौठान में अगर गोबर की खरीदी नहीं होती है तो संबंधित नोडल अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार होंगे। उन्होंने कहा कि गांव में गोबर की कोई कमी नहीं है, पशुपालकों को प्रेरित करते हुए गोबर की नियमित खरीदी कराएं। इसके साथ गोबर खरीदी के बाद उसे स्व सहायता समूहों के माध्यम से जैविक खाद तैयार कराने के लिए वर्मी टांका में डलवाए। निर्धारित समय के उपरांत जब गोबर से खाद तैयार हो जाए तो उसके लिए सोसायटी के माध्यम से विक्रय कराएं, यह नियमित रूप से चलने वाली प्रक्रिया है, इसलिए इसमें कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस दौरान जिला पंचायत सीईओ ने प्रत्येक गौठान में गोबर खरीदी की जानकारी, वर्मी खाद एवं गतिविधियों की जानकारी ली।
नवनिर्मित गौठानों में शुरू करें गोधन न्याय योजना
उन्होंने कहा कि जिले में नवनिर्मित गौठानों को गोधन न्याय योजना से जोड़ते हुए शुरू किया जाएगा। अधिकांश ग्राम पंचायतों, गांवों में गौठान बनकर तैयार है, इससे जुड़कर पशुपालकों, ग्रामीणों, किसानों को लाभ मिलेगा। इसलिए सभी जनपद पंचायत सीईओ निर्धारित प्रपत्र में गौठान समितियों की जानकारी भेजने के निर्देश दिए।
जहां तालाब वहां मछलीपालन
उन्होंने कहा कि गौठान के अंदर, बाहर या फिर गांव में जहां पर तालाब है, वहां पर मछलीपालन का कार्य किया जा सकता है। इसके लिए स्व सहायता समूह की महिलाओं को जोड़ते हुए तालाब को लीज पर दिया जाए। ताकि अधिक से अधिक समूह की महिलाओं को इससे रोजगार प्राप्त हो सकें। उन्होंने कहा कि एक सप्ताह में सभी तालाबों में मछलीपालन का कार्य शुरू कराए जाने के निर्देश दिए। इसके अलावा उद्यान विभाग को बाड़ी विकसित करने कहा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक गौठान में तीन गतिविधियां अनिवार्य रूप से संचालित की जाएं। ताकि प्रत्येक गौठान से स्व सहायता समूहों की महिलाओं को रोजगार मिल सके।
गौमूत्र का परिणाम जाकर देखें
जिले में तिलई एवं खोखरा गौठान में गौमूत्र की खरीदी की जा रही है। गौमूत्र की खरीदी के बाद जीवामृत एवं ब्रम्हास्त्र बनाया जा रहा है। जैविक खाद बनने के बाद किसानों को उपलब्ध कराकर उसका प्रदर्शन करें। इसका उपयोग होने के बाद क्या परिणाम आ रहे हैं यह भी देखने के निर्देश कृषि विभाग के अधिकारियों को दिए।