क्या हम Google पर होंगे पूरी तरह से डिपेंड, जानिए कितना आएगा बदलाव

Google ने 1998 में सर्च इंजन के रूप में शुरुआत करते हुए आज लोगों की आम जिंदगी में इतनी खास जगह बना ली है

Update: 2021-05-11 10:34 GMT

Google ने 1998 में सर्च इंजन के रूप में शुरुआत करते हुए आज लोगों की आम जिंदगी में इतनी खास जगह बना ली है कि इसे हम सिर्फ सर्च इंजन नहीं कह सकते, ये इससे कहीं ज्यादा आगे निकल गया है. हाल ये है हमारा दिन गूगल के बिना नहीं कट सकता है.

गूगल जानकारियां जुटाने का जरिया है और इसने बहुत ही कम समय में अपने आप को हर स्तर पर आगे बढ़ाया है. एक दशक में गूगल ने दुनियाभर के बड़े से बड़े कारोबारियों के मुकाबले काफी तेजी से तरक्की की है. अब बात ये आती है कि जितनी तेजी से गूगल पिछले दशक में आगे आया है उससे अधिक तेजी से आने वाले समय में भी आगे बढ़ेगा. आने वाले 20 सालों की बात करें तो ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं बचेगा जिसका काम गूगल के बिना चल पाए. आइए इसे डिटेल में समझते हैं….
अल्फाबेट की मार्केट कैप 1.55 लाख करोड़ से भी ज्यादा
गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट की मार्केट कैप 1.55 लाख करोड़ से भी ज्यादा है. इस लिहाज से वह दुनिया में चौथे स्थान पर है. इन आंकड़ों में सबसे ज्यादा योगदान गूगल ने दिया है. गूगल का कनेक्शन हमारे स्मार्टफोन, लैपटॉप, डेस्कटॉप, टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन समेत लगभग हर जगह है. गूगल की तमाम एप्लीकेशन जैसे इसका ऑपरेटिंग सिस्टम, गूगल स्टोर, मैप्स, जीमेल, यू-ट्यूब और क्रोम हमारी जिंदगी में काफी जरूरी बन चुके हैं. हाल ये है कि हमें इंटरनेट पर हमें कुछ सर्च करना होता है तो हम उसे 'गूगल करना' ही कहते हैं.
गूगल पर रोजाना की जाती हैं 3.5 अरब सर्च
कुछ आंकड़ों पर जाएं तो गूगल पर रोजाना 3.5 अरब (एक सेकेंड में 40,000) सर्च की जाती हैं. इतना ही नहीं आपकी पर्सनल जानकारी, इंटरेस्ट, हिस्ट्री और तमाम डिटेल्स गूगल के पास मौजूद हैं. हम कह सकते हैं कि गूगल आपके किसी भी करीबी के मुकाबले आपको कहीं ज्यादा जानता है. आने वाले समय में ये सब और बढ़ेगा.
गूगल पर कैसे डिपेंड होंगे हम
सर्च की बात करें तो अब हम टाइप करने की बजाय वॉइस सर्च को तवज्जो देते हैं. आने वाला समय कुछ ऐसा होगा कि दुनियाभर में मशीनों का एक नेटवर्क होगा और हम अपने कामों के लिए इस नेटवर्क डिपेंड होंगे और इसे हैंडल कर रहा होगा गूगल. जैसे दीवारों पर माइक्रोफोन लगे मिल सकते हैं, आपकी कार आपसे वॉइस फॉर्म में इंस्ट्रक्शन लेगी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस काफी बेहतर होगा और मशीनें ही ज्यादातर काम करेंगी. जाहिर सी बात है इन मशीनों के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा. इस लिस्ट में गूगल का एंड्रॉयड सिस्टम ही पहला विकल्प है. इसके बाद बात साफ है कि आप गूगल पर किस तरह डिपेंड होंगे.
क्या है गूगल की प्लानिंग
इसके लिए गूगल की तैयारी शुरू हो चुकी है. पिछले 22 सालों से अब तक में अल्फाबेट ने 227 से भी ज्यादा कंपनियों को अधिग्रहीत किया है. इन कंपनियों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, रोबोटिक्स, ई-कॉमर्स और हेल्थ रिलेटेड सेक्टर शामिल है. इसके लिए अल्फाबेट ने 30 अरब डॉलर से ज्यादा खर्च किए हैं. यानी मतलब साफ है कि मेन इंटरनेट सर्विस पर फोकस करने की बजाय मेडिकल साइंस और रोबोटिक्स जैसे प्रोजेक्ट्स पर खर्च कर रही है.
कुल मिलाकर आने वाले समय में माइक्रोचिप, सेंसर और वॉइस असिस्टेंट जैसी चीजें अपडेट होंगी. इसके साथ ही हम गूगल पर पूरी तरह से निर्भर हो जाएंगे.


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