क्या सरकार इस साल बिना खर्च किए लाखों लोगों को लगाएगी टीका?
देश में कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सिनेशन प्रोग्राम (Corona Vaccination) की शुरुआत हो चुकी है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पूरे देश में कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सिनेशन प्रोग्राम (Corona Vaccination) की शुरुआत हो चुकी है. दूसरी तरफ Budget 2021 का समय भी नजदीक आ गया है. माना जा रहा है कि इस बजट में वैक्सिनेGovernment, this year, will spend millions, people, vaccines, without spendingशन एक प्रमुख विषय होगा. रिपोर्ट के मुताबिक, वैक्सिनेशन प्रोग्राम पर करीब 65000 करोड़ रुपए खर्च होंगे. इस फंड के लिए कोरोना सेस की भी बात हो रही है. हालांकि आर्थिक जानकारों की सलाह है कि सरकार को किसी तरह के अडिशनल टैक्स या सेस से बचना चाहिए. ऐसे में उद्योग जगत के संगठन CII ने एक सलाह दिया है जो दोनों समस्याओं का हल है.
उद्योग संगठन CII ने सरकार से कहा है कि कोरोना वायरस टीकाकरण कार्यक्रम में कुछ ऐसे प्रावधान किए जाने चाहिए जिससे निजी कंपनियों को उनके कर्मचारियों के टीकाकरण के लिए प्रोत्साहन मिले. उद्योग संगठन ने कहा है कि टीकाकरण खर्च को कंपनियों के CSR के दायरे में लाया जा सकता है. इससे टीकरकण कार्यक्रम को जल्द से जल्द व्यापक दायरे में पहुंचाया जा सकेगा. कोरोना पर गठित CII Taskforce ने ने नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल, स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण और NEGVAC (National Expert Group on Vaccine Administration for COVID-19 ) को अपने सुझाव दिए हैं.
निजी क्षेत्र की क्षमता का हो इस्तेमाल
CII ने टीकाकरण के पहले चरण से ही निजी क्षेत्र की क्षमता का इस्तेमाल करने का भी सुझाव दिया है. उद्योग संगठन में अपने सुझावों में सरकार के टीकाकरण कार्यक्रम में ऐसे तथ्यों की पहचान की है जिन्हें समर्थन दिए जाने पर उन्हें कंपनियों के सीएसआर व्यय के तहत लाया जा सकता है.
2 फीसदी सीएसआर पर खर्च करने पड़ते हैं
कंपनी एक्ट 2013 के मुताबिक, तीन लगातार सालों में कंपनी के एवरेज नेट प्रॉफिट का 2 फीसदी कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के रूप में खर्च करना होता है. सीआईआई कार्यबल ने कहा है कि सरकार टीकाकरण कार्यक्रम के पहले चरण से ही निजी क्षेत्र की क्षमता का इस्तेमाल कर सकती है. यह काम सार्वजनिक- निजी भागीदारी के तहत किया जा सकता है.