Income tax Budget Expectations: सैलरीड क्लास को 23 जुलाई यानी आज बजट से बहुत उम्मीदें हैं। इनके पीछे सबसे बड़ी वजह है, साल 2024 के अंतरिम बजट में टैक्सपेयर्स को अधिक राहत का न मिलना। पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट्स को उम्मीद कै कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण नए टैक्स रिजीम में हाइएस्ट टैक्स रेट को कम कर सकती हैं, मानक कटौती को बढ़ाने के साथ ओल्ड टैक्स रिजीम में उच्चतम टैक्स रेट के लिए लिमिट बढ़ा सकती हैं। अनुमान है कि सरकार बजट 2023 में पेश की गई न्यू टैक्स रिजीम की कथित कमियों को दूर करेगी।
आगामी बजट 2024 से सैलरीड क्लास की अपेक्षाएं :
टैक्स रेट में कटौती
लाइव मिंट से डेलॉइट इंडिया की पार्टनर दिव्या बावेजा ने बताया, " न्यू टैक्स रिजीम में बदलाव अभी भी उम्मीद के मुताबिक नहीं है। उम्मीद है कि सरकार नई इसके तहत 30% की मैक्सिमम टैक्स रेट को घटाकर 25% करने और स्टैंडर्ड डिडक्शन को मौजूदा 50,000 रुपये की सीमा से बढ़ाने पर विचार करेगी।"
थ्रेसहोल्ड एडजस्टमेंट और डिडक्शन लिमिट
दिव्या ने कहा, " सरकार ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत हाईएस्ट टैक्स रेट के लिए लिमिट को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने और अंतरिम उपाय के रूप में 80सी की सीमा बढ़ाने पर भी विचार कर सकती है।"
स्टैंडर्ड डिडक्शन में बढ़ोतरी
वी सहाय त्रिपाठी एंड कंपनी में पार्टनर्स सीए गरिमा त्रिपाठी ने लाइव मिंट से कहा, "आगामी बजट 2024 मिडिल क्लास के लिए बड़ी उम्मीदें लेकर आया है, खासकर ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत बढ़ी हुई बचत के संबंध में। सबसे बड़ी उम्मीद धारा 80C कटौती सीमा को मौजूदा ₹1.5 लाख से बढ़ाकर संभवतः ₹2.0 लाख करने की है।"
वहीं, कैलाश चंद जैन एंड कंपनी में पार्टनर सीए अभिषेक जैन ने उम्मीद जताई कि मानक कटौती में बढ़ोतरी की भी उम्मीद है। इसे पिछली बार ₹50,000 तक संशोधित किया गया था, मानक कटौती बढ़ने से टैक्सेबल इनकम कम होगी, जो महंगाई और बढ़ते लिविंग कास्ट के बीच महत्वपूर्ण राहत प्रदान करेगी।
कैपिटल गेन और इन्वेस्टमेंट इंसेंटिव
गरिमा त्रिपाठी ने आगे बताया, "कई लोगों को उम्मीद है कि ट्रेडिंग में बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स
(LTCG) एक्सक्लूजन लिमिट को ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹1.5 या 2 लाख किया जाएगा।" हाउस रेंट अलाउंस (HRA) और अन्य भत्ते
सीए अभिषेक जैन ने बताया, "मुख्य उम्मीदों में बढ़ती किराये की लागतों की भरपाई के लिए हाउस रेंट अलाउंस (HRA) छूट शामिल है, खासकर महानगरीय क्षेत्रों में। इससे कर योग्य आय कम होगी और किराए के आवास में रहने वालों के लिए राहत मिलेगी।"