Scientists के सुझाव के अनुसार कृषि में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग

Update: 2024-08-01 10:28 GMT

Business बिजनेस: किसान फसल उत्पादकता बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करते हैं। उर्वरक पौधों Fertilizing plants को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं। कभी-कभी मिट्टी का परीक्षण किए बिना लगाए गए उर्वरक हानिकारक हो सकते हैं। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि उर्वरकों का प्रयोग करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। नियामतपुर कृषि विज्ञान केंद्र पर तैनात कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि धान की फसल लगाई जा चुकी है। धान की फसल से अधिक उपज पाने के लिए किसान रासायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध प्रयोग करते हैं, लेकिन जरूरी है कि मिट्टी परीक्षण के बाद रिपोर्ट के अनुसार ही उर्वरकों का प्रयोग करें। जिससे किसानों को कम लागत में अधिक आय प्राप्त होगी। यदि किसान समय पर मिट्टी का Of clay परीक्षण नहीं करा पाते हैं तो वैज्ञानिकों के सुझाव के अनुसार रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए।

बेसल खुराक पर डीएपी और एनपीके
डॉ. एनसी त्रिपाठी ने कहा कि धान की फसल की रोपाई करते समय बेसल मात्रा में 50 किग्रा डीएपी या 50 किग्रा एनपीके का प्रयोग करना चाहिए। खेत की आखिरी जुताई के समय प्रति एकड़ 10 किलोग्राम जिंक मिट्टी में मिला देना चाहिए, जिससे पौधों की वृद्धि अच्छी होगी.
यह कार्य 18 दिन बाद करें।
डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि रोपाई के 15 से 18 दिन बाद प्रति एकड़ 40 से 45 किलोग्राम नाइट्रोजन देना चाहिए. इसके साथ ही 2 से 3 किलोग्राम मोनो 33% जिंक भी दें। ऐसा करने से धान के पौधों पर कल्लों की संख्या तेजी से बढ़ेगी.
फंगस से बचाव के लिए करें ये प्रयोग
डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि जब फसल 25 से 30 दिन की हो जाए तो प्रति एकड़ 40 से 45 किलोग्राम नाइट्रोजन और 2 से 3 किलोग्राम सल्फर डालें। सल्फर के प्रयोग से किसी भी प्रकार का फंगस धान के पौधों की जड़ों पर आक्रमण नहीं करेगा। सभी उर्वरकों की आपूर्ति प्रस्थान से पहले की जानी चाहिए।
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