तोमर: भारतीय खाद्यान व किराना बाजार विश्व का छठवां सबसे बड़ा बाजार

भारतीय खाद्यान (Food) व किराना बाजार (Grocery market) विश्व का छठवां सबसे बड़ा बाजार है।

Update: 2020-10-16 09:52 GMT

भारतीय खाद्यान (Food) व किराना बाजार (Grocery market) विश्व का छठवां सबसे बड़ा बाजार है। यही नहीं, भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, देश के खाद्य बाजार का 32 % होने के साथ ही देश का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र (Industry segment) है। युवाओं द्वारा ज्यादा उपभोग की आदतें इसे और भी बड़ा बना रही हैं। यह कहना है केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का। वह आज यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) द्वारा आयोजित इंडिया इंटरनेशनल फूड एंड एग्री वीक का शुभारंभ कर रहे थे।

तेजी से बढ़ रहा है खाद्यान्न बाजार

इस अवसर पर नरेंद्र तोमर ने कहा कि भारतीय खाद्यान व किराना बाजार इस समय विश्व का छठा सबसे बड़ा बाजार है। इसी के साथ देश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का तेजी से विस्तार हो रहा है। यही वजह है कि इस समय देश के खाद्य बाजार का 32 % हिस्सा इसी का है। तभी तो यह देश का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र बन गया है। अभी इसके विस्तार की भारी गुंजाइश है, क्योंकि युवाओं द्वारा ज्यादा उपभोग की आदतें इसे और भी बड़ा बना रही हैं ।

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कृषि कानूनों का मौजूदा मंडी प्रणाली पर असर नहीं

तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लाए गए कृषि कानूनों का देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और मौजूदा मंडी प्रणाली पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इससे किसानों को स्वंतत्रता मिलेगी और उन्हें वैकल्पिक बाजार उपलब्ध होगा। अब किसान अपनी उपज मंडी परिसर के बाहर भी, किसी को- कहीं भी- कभी भी, उचित दाम पर बेच सकते हैं। इससे किसानों को ज्यादा मुनाफा होगा।

खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विस्तार के लिए प्रतिबद्ध

एग्रो एंड फूड टेक के 14वें संस्करण के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए तोमर ने कहा कि भारत सरकार कृषि एवं खाद्य क्षेत्र के निरंतर विकास के लिए प्रतिबद्ध है। इसीलिए अनेक सुधार और पहल की गई हैं। नए रिफार्म्स के अंतर्गत 'एक देश-एक बाजार' तथा फार्म-गेट अधोसंरचना के माध्यम से आमूलचूल बदलाव आएगा और किसानों की आय बढ़ेगी। नए कृषि कानून से किसानों के हित में क्रांतिकारी परिवर्तन होगा। कुछ लोग अपने निजी स्वार्थों के चलते भ्रम फैला रहे हैं, गुमराह करने की असफल कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, हमारे देश के जागरूक किसान भाई उनकी ये चालें बखूबी समझते हैं। एमएसपी व मंडी प्रणाली जारी रहने के साथ ही नए प्रावधान के तहत संविदा खेती का जो करार होगा, वह केवल किसानों की फसल के लिए ही होगा, जमीन किसानों की अपनी ही रहेगी।

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