आज GST काउंसिल की 43वीं बैठक, राज्यों के लिए आ सकती है अच्छी खबर...

केंद्र सरकार और 10 राज्यों के बीच जीएसटी क्षतिपूर्ति (GST Compensation) को लेकर मतभेद के बीच आज |

Update: 2020-10-12 04:11 GMT

केंद्र सरकार और 10 राज्यों के बीच जीएसटी क्षतिपूर्ति (GST Compensation) को लेकर मतभेद के बीच आज जीएसटी काउंसिल की 43वीं बैठक (GST Council Meeting) होनी है. जीएसटी क्षतिपूर्ति में कमी के कारण राज्यों को वित्तीय दिक्‍कतों का सामना करना पड़ रहा है. बैठक में जीएसटी काउंसिल कई अहम मुद्दों पर चर्चा करेगी. बता दें कि केंद्र सरकार ने राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति नहीं मिलने पर राजस्व में आई कमी की भरपाई के दो विकल्‍प दिए थे. इनमें से कर्ज लेने के विकल्‍प को गैर-भाजपा शासित राज्यों ने स्‍वीकार करने से इनकार कर दिया था. ऐसे में आज की बैठक में केंद्र और राज्‍य सरकारों के बीच जबरदस्‍त बहस होने के आसार हैं.

केरल के वित्‍त मंत्री इसाक ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ले जा सकते हैं मामला

कर्ज लेकर राजस्‍व कमी को पूरा करने के विकल्‍प का विरोध करने वाले राज्‍यों का कहना है कि केंद्र को आरबीआई से पूरा कर्ज लेकर राज्‍यों को क्षतिपूर्ति भुगतान करना चाहिए. केरल के वित्‍त मंत्री थॉमस इसाक (Thomas Isaac) ने कहा, 10 राज्य तय शर्तों के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर से पूरी क्षतिपूर्ति रकम देने की मांग कर रहे हैं. इसके लिए केंद्र को लोन (Loan) लेना चाहिए. साथ ही चेतावनी दी है कि अगर केंद्र विवाद निपटारा तंत्र (Dispute Resolution Mechanism) की स्‍थापना से इनकार करता है और उधार के विकल्‍प को वोटिंग के जरिये पास कराता है तो मामले को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ले जाया जाएगा.

सीतारमण ने 5 अक्‍टूबर को 20 हजार करोड़ देने का किया था ऐलान

केंद्र के मुताबिक, कोरोना संकट के कारण जीएसटी कलेक्शन में अभी 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी है. इनमें से 97,000 करोड़ रुपये जीएसटी का बकाया है, जबकि बाकी कोरोना वायरस की वजह से बाकी है. पिछली बैठक के बाद वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 5 अक्‍टूबर को ऐलान किया था कि राज्‍यों को 20,000 करोड़ रुपये दे दिए जाएंगे. बता दें कि अगस्त 2020 में हुई काउंसिल की बैठक में केंद्र ने जीएसटी की भरपाई के लिए दो विकल्प सुझाए थे. पहला, राज्यों को स्पेशल विंडो मुहैया कराई जाएगी. इसके तहत वे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) से कर्ज ले सकते हैं. इसमें कम ब्याज दर पर राज्यों को 97,000 करोड़ रुपये का कर्ज मिल सकता है. इस रकम को 2022 तक सेस कलेक्शन से जमा किया जा सकता है.

गैर-भाजपा शासित राज्‍यों ने उधार लेने के विकल्‍प से किया इनकार

केंद्र ने दूसरे के विकल्प के तौर पर कहा था कि स्पेशल विंडो के तहत पूरा 2.35 लाख करोड़ रुपये कर्ज लिया जा सकता है. इस पर देश के 21 राज्यों ने समर्थन किया था. उनके पास सितंबर 2020 के मध्‍य तक 97,000 करोड़ रुपये कर्ज लेने का मौका था. हालांकि, 10 गैर-भाजपा शासित राज्‍यों ने इसे मानने से इनकार कर दिया. उनका कहना है कि केंद्र लोन लेकर उन्हें जीएसटी मुआवजे की भरपाई करे. बता दें कि अब तक आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा, पुड्डुचेरी, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड और यूपी ने कर्ज का विकल्प चुन लिया है.

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