बासमत‍ी धान की खेती करने वाले रखें ध्यान, अगर ये काम नहीं किया तो होगा भारी नुकसान, पढ़ें वैज्ञानिकों का दावा

पढ़ें वैज्ञानिकों का दावा

Update: 2022-06-14 07:53 GMT
कीटनाशकों का अंधाधुंध इस्तेमाल भारतीय कृषि उत्पादों के लिए घातक साबित हो रहा है. हाल ही में कीटनाशकों की अधिकता की वजह से कई देशों ने भारतीय चाय की खेप लौटा दी है. इससे पहले बासमती पर यह संकट आ चुका है. अभी खरीफ सीजन की शुरुआत हुई है. धान की खेती के लिए नर्सरी डालने का काम शुरू हो रहा है. ऐसे में कृषि वैज्ञानिक किसानों को कीटनाशकों और खाद के अधिक इस्तेमाल से बचने के लिए आगाह कर रहे हैं. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि बासमती चावल (Basmati Rice) को कीटनाशक के चंगुल से मुक्त नहीं किया गया देश को बड़ा नुकसान होगा. इसलिए कीटनाशक बनाने वाली कंपनियों और बेचने वाले दुकानदारों के बहकावे में न आएं.
बताया जा रहा है कि कीटनाशकों की वजह से ही इस साल बासमती चावल का एक्सपोर्ट (Basmati Rice Export) काफी घट गया है. साल 2018-19 में 32,804 करोड़ रुपये का बासमती चावल एक्सपोर्ट किया गया था. जबकि 2021-22 में यह घटकर महज 26,861 करोड़ रुपये रह गया. यानी इसके एक्सपोर्ट में करीब 6000 करोड़ रुपये की कमी आ गई. इसलिए बासमती धान की खेती बहुत सावधानी से करने की जरूरत है. ताकि उसके चावल की क्वालिटी एक्सपोर्ट लायक बनी रहे. यूरोपियन यूनियन की एक ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया है कि हाल ही में बासमती के 1128 में से 45 सैंपल में कीटनाशक अवशेष की मात्रा तय मानक से अधिक मिली थी.
पानी और यूरिया का हो संतुलित इस्तेमाल
बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन (BEDF) के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. रितेश शर्मा का कहना है कि जब तक बहुत जरूरी न हो जाए तब तक किसान भाई कीटनाशकों का इस्तेमाल करने से बचें. बासमती की खेती में जल प्रबंधन और यूरिया (Urea) का संतुलित इस्तेमाल हो तो कीटनाशक इस्तेमाल की नौबत नहीं आएगी. सेहत के प्रति पूरी दुनिया में लोगों की चिंता बढ़ी है. इसलिए केमिकल फ्री कृषि उत्पादों की मांग में इजाफा हो रहा है. ऐसे में कई देश कीटनाशकों के अंश को लेकर बेहद सख्त हो गए हैं.
किसानों को नहीं दी जाती जानकारी
रूरल एंड अग्रेरियन इंडिया नेटवर्क (RAIN) के अध्यक्ष सुधीर सुथार कहते हैं कि कीटनाशकों का कब, कैसे और कितना इस्तेमाल करना है, किसानों को इसकी जानकारी न तो सरकार देती है और न तो उसे बनाने वाली कंपनियां. जबकि इस मसले पर मिशन मोड में अभियान चलाया जाना चाहिए. तय मानक से अधिक कीटनाशक (Pesticide) मिलेगा तो एक्सपोर्ट पर खतरा मंडराएगा. इसलिए वैज्ञानिक समुदाय किसानों को इसके बारे में जागरूक करे.
बासमती की रोगरोधी किस्में
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने बासमती धान की तीन रोगरोधी किस्में (Basmati Rice Variety) विकसित की हैं. किसानों को इन पर फोकस करना चाहिए. बासमती 1401 को ठीक करके बासमती 1886 नाम से नई प्रजाति तैयार की गई है. बासमती 1509 में सुधार करके बासमती 1847 किस्म बनाई गई है. बासमती 1121 में सुधार करके बासमती 1885 तैयार की गई है. इन तीनों में कीटनाशकों का इस्तेमाल न के बराबर करना होगा. वैज्ञानिकों का दावा है कि इन तीनों नई किस्मों में बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट, ब्लास्ट रोग और शीथ ब्लाइट नामक रोग नहीं होगा.
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