जनवरी 2022 से ट्रांजेक्शन से जुड़ा नियम बदलने वाला है, जाने
नए साल से बैंक का लॉकर ज्यादा सुरक्षित होने जा रहा है. रिजर्व बैंक ने साफ कर दिया है कि लॉकर की सुरक्षा को लेकर बैंक पल्ला नहीं झाड़ सकते. अगर लॉकर में कोई भी गड़बड़ी या कोई घटना होती है तो बैंक इसके जिम्मेदार होंगे.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जनवरी 2022 से बैंकिंग को लेकर कई नियम बदलने जा रहे हैं. आपको इन नियमों की जानकारी पहले से जरूर होनी चाहिए ताकि ऐन वक्त पर काम न बिगड़े. इसके लिए रिजर्व बैंक और बैंकों की तरफ से लगातार मैसेज दिए जा रहे हैं. आप अगर सोच रहे हैं कि एटीएम ट्रांजेक्शन ही एक अकेला बदलाव होने जा रहा है, ऐसी बात नहीं है. हम यहां आपको उन तीन बड़े बदलाव के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका आपके रुपये-पैसों से सीधा संबंध है.
यहां बताए जाने वाले तीनों सुधार या बदलाव आपके पर्सनल फाइनेंस से जुड़े हैं. ये बदलाव साल 2022 में अमल में आ रहे हैं. कुछ पहले तो कुछ बाद में. इनमें बैंक के लॉकर से लेकर म्यूचुअल फंड और एटीएम ट्रांजेक्शन से जुड़े हैं.
1-पहले से ज्यादा सुरक्षित होंगे लॉकर
नए साल से बैंक का लॉकर ज्यादा सुरक्षित होने जा रहा है. रिजर्व बैंक ने साफ कर दिया है कि लॉकर की सुरक्षा को लेकर बैंक पल्ला नहीं झाड़ सकते. अगर लॉकर में कोई भी गड़बड़ी या कोई घटना होती है तो बैंक इसके जिम्मेदार होंगे. बैंक अगर कस्टमर के सामान की सुरक्षा को नजरअंदाज करते हैं तो इसकी पूरी जिम्मेदारी उनकी बनेगी.
लॉकर का नया नियम जनवरी 2022 से अमल में आ रहा है. अगर बैंक के किसी कर्मचारी से फ्रॉड होता है, बैंक की बिल्डिंग गिरती है, आग या चोरी से नुकसान होता है, तो बैंक किसी कस्टमर के लॉकर में रखे सामान के रेंट या फीस का 100 फीसदी तक भरपाई करेगा. नया नियम मौजूदा और पुराने डिपॉजिट लॉकर होल्डर के लिए लागू होगा.
अगर कोई प्राकृतिक आपदा आ जाए तो उसमें यह नियम लागू नहीं होगा. भूकंप, बाढ़, आकाशीय बिजली, तूफान या कस्टमर की गलती से लॉकर को नुकसान हो तो उसकी भरपाई बैंक नहीं करेगा. लॉकर का पेमेंट ग्राहक जल्दी कर सकें, इसके लिए बैंक तीन साल के रेंट के बराबर टर्म डिपॉजिट ले सकता है. किसी आपदा में लॉकर तोड़ने के चार्ज भी तीन साल के टर्म डिपॉजिट के रूप में लिए जा सकते हैं. यह नियम उनके लिए नहीं होगा जो समय पर लॉकर का पैसा चुका देते हैं या जिनका रिकॉर्ड सही है.
2-म्यूचुअल फंड सेंट्रल पर ट्रांजेक्शन
एमएफ या म्यूचुअल फंड सेंट्रल एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जिसे केफिनटेक और कंप्यूटर एज मैनेजमेंट सर्विसेज (CAMS) ने मिलकर शुरू किया है. यह कंपनी म्यूचुअल फंड से संबंधित सेवाएं देती है. सेबी के निर्देश के बाद इस साल सितंबर महीने में इसकी लॉन्चिंग की गई थी. यह प्लेटफॉर्म पूरी तरह से म्यूचुअल फंड ट्रांजेक्शन के लिए बनाया गया है. एमएफ सेंट्रल म्यूचुअल फंड ट्रांजेक्शन से जुड़ी सेवाएं देता है, जैसे बैंक अकाउंट, मोबाइल नंबर और ईमेल एड्रेस में बदलाव आदि.
एमएफ सेंट्रल पर ग्राहकों को नॉमिनेशन फाइल करने, इनकम डिस्ट्रिब्यूशन कैपिटल विड्रॉल में बदलाव, एमएफ फोलियो और फॉरेन अकाउंट टैक्स कंप्लायंस एक्ट से जुड़ी डिटेल में बदलाव के लिए एमएफ सेट्रल की सेवाएं ली जाती हैं. इसका एक ऐप भी बनाया गया है जो अभी लॉन्च नहीं हुआ है. इस प्लेटफॉर्म पर ट्रांजेक्शन शुरू नहीं हुआ है. माना जा रहा है कि जनवरी में यह सेवा भी शुरू हो सकती है.
3-महंगी होगी एटीएम फीस
जनवरी से एटीएम से पैसे निकालना महंगा हो जाएगा अगर आप फ्री लिमिट के बाद ट्रांजेक्शन करते हैं. हर ग्राहक को 5 फ्री ट्रांजेक्शन की सुविधा मिलती है जिनमें कैश निकासी, बैलेंस पूछताछ, एटीएम पिन बदलाव, मिनि स्टेटमेंट रिक्वेस्ट और उसी बैंक के एटीएम में एफडी खोलना शामिल है. मेट्रो सिटी में अन्य बैंक के एटीएम से 3 बार एटीएम की सेवा मुफ्त ले सकते हैं, जबकि गैर मेट्रो शहरों में यह संख्या 5 है. जनवरी की पहली तारीख से अगर आप फ्री ट्रांजेक्शन की लिमिट के बाद एटीएम की सेवा लेते हैं तो आपको 21 प्लस जीएसटी देना होगा.