मौसम के हिसाब से गन्ने की खेती करने का सही तरीका, जानिये किन कस्मों का करे चयन
गन्ने की खेती करने जा रहे हैं तो मौसम के हिसाब से किन कस्मों का चयन करेंगे
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- नकदी फसल गन्ना की खेती देश में लाखों किसान हर साल करते हैं. ठंडी के मौसम में शुरू होने वाली इस खेती को मुनाफे की खेती कहा जाता है. आप अगर पहली बार गन्ने की खेती करने जा रहे हैं तो ये खबर आपके काम आ सकती है.आप गन्ने की खेती करने जा रहे हैं तो मौसम के हिसाब से किन कस्मों का चयन करेंगे, इसके बाद बुवाई का सही तरीका क्या होगा, इस खबर में आपको इन सबकी जानकारी मिलेगी.
बसंत कालीन बुवाई
मध्य फरवरी से मध्य मार्च बुवाई करें. इसके बाद बुवाई करनी हो तो बीज की दर कुछ बड़ा देनी चाहिए. 15 मार्च बाद बुवाई करने हेतु सी ओ 419 के बजाए सी ओ 1007 किस्म काम में लेनी चाहिए. शरदकालीन गन्ने की अपेक्षा बसन्तकालीन गन्ने में उपज अधिक प्राप्त होती है.
शरदकालीन बुवाई
गन्ने की बुवाई अक्टूबर से भी की जा सकती हैं. इस समय बुवाई के दो लाभ हैं. गन्ने व शक़्कर की उपज बढ़ती है और साथ ही गेहूं सरसों या चुकुन्दर की मिश्रित फसल भी ली जा सकती है. इसके लिए गन्ने की बुवाई 15 से 20 अक्टूबर तक अवश्य कर देनी चाहिए. यह फसल 13 से 14 माह में तैयार हो जाती है.
ग्रीष्मकालीन बुवाई
देर से बुवाई (गेहूं के बाद मध्य अप्रैल में) इस स्थिति में गन्ना लेने पर 250 किलो नाइट्रोजन प्रति हक्टेयर डालें और गन्ने की किस्म सी ओ एल के 8001 बोए और कतार से कतार की दूरी 60 सेमी. रखे.
गन्ना बुवाई की विधि
गन्ने की बुवाई सपाट व फेरो विधि से करनी चाहिए। इसके लिए पलेवा देकर खेत तैयार करने के बाद 75-90 सेमी. के फासले पर गहरे कुंड निकाले. भारी व अच्छी उपजाऊ भूमियों में पंक्ति से पंक्ति की दुरी 90 सेमी. एवं हल्की एवं कम उपजाऊ मृदा में यह दुरी 75 सेमी. रखें.
इन कुंडों में दीमक आदि कीड़ों की रोकथाम हेतु कीटनाशक डालकर ऊपर से गन्ने के टुकड़ों को ड्योढ़ा मिलकर रख दे और फिर पाटा फेर दे ताकि टुकड़े अच्छी प्रकार मिटटी में ढंक जाए. बुवाई के तीसरे सप्ताह में एक सिंचाई देकर सावधानी से अंधी गुड़ाई करें, ऐसा करने से मिट्टी की पपड़ी उखड जएगी और अंकुरण अच्छा होगा.
चिकनी मिट्टी वाले क्षेत्रों में जमीन भुरभुरी तैयार नहीं हो पाती है. इसलिए इन क्षेत्रों में सूखी मिट्टी में बुवाई करनी चाहिए. इसके लिए सुखी मिट्टी में 75-90 सेमी. की दूरी पर गहरे कुंड निकालकर उनमे उर्वरक तथा भूमि उपचार हेतु औषधि डाल दें. इसके बाद गन्ने के टुकड़ों को ड्योढ़ा (तिरछा) रख दे और पाटा फेरकर तुरंत सिंचाई कर दें. ध्यान रहे की पहली सिंचाई हल्की और समान होनी चाहिए. जब खेत बाह पर आ जाए तो अच्छी तरह अंधी गुड़ाई करें. इसके 15-20 दिन बाद दोबारा सिंचाई कर गुड़ाई करें. इससे अंकुरण अच्छा होगा.
खाली स्थानों पर रोपाई हेतु गन्ने की तीन-चार अतिरिक्त पंक्तिया बोएं. जहां अंकुरण कम हुआ हो, वहां बुवाई के 25-30 दिन बाद एक आँख वाले टुकड़े को निकालकर रोपाई करें.