आम जनता को फिर लगेगा झटका, बढ़ी तेल की कीमत

Update: 2022-02-15 00:45 GMT
दिल्ली। 5 राज्यों के चुनावों में किसके सिर पर जीत का सेहरा बंधेगा. इसकी भविष्यवाणी कोई नहीं कर सकता. लेकिन पब्लिक को डर है कि जैसे ही 7 मार्च को वोटिंग का दौर खत्म होगा, तेल की महंगाई उनकी जेब जलानी शुरू कर देगी. ऐसे में सवाल ये है कि लोग 7 मार्च के बाद तेल के दाम में इजाफा होने की बात किस आधार पर कह रहे हैं. इसके लिए पूरी कहानी को समझना होगा.

तेल की कीमत 96 डॉलर प्रति बैरल हुई

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 96 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई है. जल्द ही इसके 100 डॉलर छूने की आशंका है. इस तरह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 2014 के बाद सबसे उच्चतम स्तर पर जा पहुंचे हैं. इसके पीछे रूस और यूक्रेन में युद्ध की आशंका के अलावा दुनियाभर में कोरोना कम होने के चलते बढ़ती मांग भी शामिल है.

4 नवंबर 2021 से नहीं बढ़े दाम

वहीं, बात भारत के संदर्भ में करें तो 4 नवंबर 2021 के बाद से तेल कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं बढ़ाए हैं. यानी पिछले 88 दिनों से तेल की आग से जनता बची हुई है. जबकि इस साल 1 जनवरी से 14 फरवरी के बीच कच्चे तेल के दाम में 18-20% का उछाल आ चुका है.

1 दिसंबर 2021 को कच्चे तेल के दाम 68.87 डॉलर प्रति बैरल थे. जो अब 96 डॉलर प्रति बैरल के करीब है, यानि डेढ़ महीने के भीतर कच्चे तेल के दामों में निचले स्तर से 34 फीसदी की तेजी आ चुकी है.

हिमाचल में हार के बाद दिखा असर

तेल के दाम में मिलने वाली राहत के लिए विपक्ष 5 राज्यों के चुनाव को वजह बता रहा है. बता दें कि पिछले साल नवंबर में देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें 100 रुपये के पार पहुंच गई थीं. इस बीच हिमाचल प्रदेश में उपचुनाव के नतीजे आए. 3 नवंबर को हिमाचल प्रदेश में हुए उप चुनाव में BJP को बड़ी हार मिलने के 24 घंटे के अंदर केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर 5 रुपये डीजल पर 10 रुपये टैक्स की कटौती कर दी.

इन राज्यों में चुनावों ने लगाए महंगाई पर ब्रेक

4 नवंबर 2021 से पहले आखिरी बार 17 मार्च 2020 से 6 जून 2020 के बीच पेट्रोल के दाम बढ़ने पर लगाम लगी थी. इसकी वजह पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, पुड्डूचेरी और केरल के चुनाव थे. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी तेल के दाम नहीं बढ़ाए गए. लेकिन फाइनल फेज की वोटिंग होने के अगले दिन से ही इसमें इजाफा होने लगा.

कर्नाटक-गुजरात इलेक्शन ने थामा उछाल

इसी तरह मई 2018 में कर्नाटक चुनाव के चलते 18 दिनों तक तेल के दाम में इजाफा नहीं हुआ था. उधर, 2017 के दिसंबर में 14 दिन तक तेल के दाम में उछाल आने पर रोक लगी थी. इसकी वजह गुजरात के चुनाव थे. इसी साल 16 जनवरी से 1 अप्रैल तक तेल के दाम नहीं बढ़ाए गए, क्योंकि तब यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में चुनाव था.

100 डॉलर के पार जा सकते हैं दाम

अगर 7 मार्च के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती कीमतों का हवाला देकर दाम बढ़ाए जाएं, तो इसमें कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए. क्योंकि कच्चे तेल के दामों पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय रिसर्च एजेंसियां भी मानती हैं कि तेल के दाम 100 डॉलर के पार जा सकते हैं. Goldman Sachs के मुताबिक 2022 में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल और 2023 में 105 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकता है. वहीं JP Morgan ने तो 2022 में 125 डॉलर प्रति बैरल और 2023 में 150 डॉलर प्रति बैरल तक दाम बढ़ने की भविष्यवाणी कर दी है.

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