श्रीलंका सरकार ने ईंधन खरीदने के लिए भारत से मांगे 50 करोड़ डॉलर का लोन

श्रीलंका सरकार ने शनिवार को कहा कि वह विदेशी मुद्रा संकट के बीच तेल की खरीद का भुगतान करने के लिए भारत से 50 करोड़ डॉलर का लोन सुनिश्चत करने का प्रयास कर रही है

Update: 2021-10-23 16:53 GMT

श्रीलंका सरकार ने शनिवार को कहा कि वह विदेशी मुद्रा संकट के बीच तेल की खरीद का भुगतान करने के लिए भारत से 50 करोड़ डॉलर का लोन सुनिश्चत करने का प्रयास कर रही है. इस संबंध में ऊर्जा मंत्री उदय गम्मनपिला ने कहा, ''लोन प्रस्ताव को मंजूरी के लिए वित्त विभाग को भेजा गया है. उसके बाद इसे मंत्रिमंडल को पेश किया जाएगा.''

उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल ने पहले ही ईंधन की खरीद के लिए ओमान से 3.6 अरब डॉलर के कर्ज को मंजूरी दे दी है. गम्मनपिला ने इससे पहले एक बयान में कहा था कि विदेशी मुद्रा संकट और कच्चे तेल की उच्च वैश्विक कीमतों के बीच देश में ईंधन की मौजूदा उपलब्धता की गारंटी अगले साल जनवरी तक ही दी जा सकती है. देश की पेट्रोलियम कंपनी सीलोन पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (सीपीसी) द्वारा ईंधन की कीमतों में वृद्धि की आशंका को देखते हुए देश के कई इलाकों में गुरूवार से ही पेट्रोल पंपों पर लंबी कतारें लगी हुई हैं.
तेल आयात का बिल काफी बढ़ गया है
इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल का भाव आसमान छू रहा है. अभी यह 85 डॉलर के करीब है. इसके कारण श्रीलंका को तेल आयात करने में परेशानी हो रही है. पिछले साल की तुलना में इस साल के पहले सात महीनों में देश का तेल पर भुगतान 41.5 फीसदी बढ़कर 2 अरब डॉलर हो गया है. वित्त मंत्री तुलसी राजपक्षे ने पिछले महीने कहा था कि महामारी के कारण पर्यटन और प्रेषण से देश की कमाई पर असर पड़ने के बाद लंका एक गंभीर विदेशी मुद्रा संकट का सामना कर रहा है.
आर्थिक आपातकाल की घोषणा
बता दें कि सितंबर के पहले सप्ताह में श्रीलंका के राष्‍ट्रपति गोटाबया राजपक्षे ने देश में आर्थिक आपातकाल की घोषणा कर दी थी. उन्‍होंने यह कदम लगातार बढ़ती महंगाई की वजह से उठाया. देश की करेंसी कीमत में तेजी से गिरावट हुई है जिसकी वजह से खाने-पीने की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं.
पर्यटन और चाय निर्यात पर टिकी है इकोनॉमी
दरअसल श्रीलंका की अर्थव्यवस्था बहुत हद तक पर्यटन और चाय के निर्यात पर निर्भर है. महामारी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है. राजपक्षे ने कहा कि बाहरी संकट के अलावा घरेलू मोर्चे पर भी संकट है. देश का राजस्व घट रहा है , जबकि खर्च लगातार बढ़ रहा है.


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