पुनीत गोयनका और सुभाष चंद्रा को लेकर कुछ दिन पहले सेबी के अंतरिम आदेश के बाद अब सोनी पिक्चर्स एंटरटेनमेंट के मुख्यालय ने जी-सोनी विलय के भविष्य को लेकर सामने आई रिपोर्टों के बारे में एक बयान जारी किया है. नेटवर्क ने कहा है कि वह सौदे पर असर डालने वाले विकास की निगरानी करेगा.
गंभीरता से ले रहे हैं हम
दरअसल सेबी के अंतरिम आदेश में सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका को लेकर जो बातें कही गई थी उसके बाद हाल ही में ZEE के SPNI के साथ विलय के भविष्य के बारे में अनुमान लगाने वाली कई गलत प्रेस रिपोर्टें आई हैं. उस पर सोनी की ओर से विस्तार से कहा गया है कि हम सेबी के अंतरिम आदेश को बहुत गंभीरता से लेते हैं और उन घटनाक्रमों की निगरानी करना जारी रखेंगे जो सौदे को प्रभावित कर सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (एसएटी) ने सेबी के आदेश के खिलाफ एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन सुभाष चंद्रा और ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज के सीईओ पुनीत गोयनका को अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया था.
क्या दिया था सेबी ने आदेश
सेबी ने 18 जून को प्रतिभूति एवं अपीलीय न्यायाधिकरण SAT को दिए अपने जवाब में कहा था कि बड़ी लिस्टेड कंपनी के चेयरमैन सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका ने जनता के पैसे को निजी कंपनियों में भेज दिया था. सेबी ने कहा था कि चेयरमैन और एमडी दोनों लेन देन में शामिल हैं, जिसके कारण पब्लिक मनी को बड़ी संख्या में ट्रांसफर किया गया. आपको बता दें कि सेबी के आदेश के खिलाफ सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका ने SAT का दरवाजा खटखटाया है.
झूठे दस्तावेज भी पेश किए गए
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सेबी ने ये भी कहा था कि इस संबंध में अपीलकर्ता का आचरण काफी कुछ बता रहा है. इस मामले में न केवल उल्लंघन हुआ है बल्कि इस तरह की गलती को छिपाने के लिए गलत दस्तावेजों का इस्तेमाल भी किया. शिरपुर मामले में हमने देखा कि प्रमोटर ग्रुप ने अपने शेयरों को बेचने का समय वो तय किया जब खुले बाजार में शिरपुर के शेयरों की गिरावट का खामियाजा उसे न भुगतना पड़े.