महंगाई की आंच को ठंडा करेगी सितंबर की बारिश, ऐसे मिलेगी आम लोगों को राहत

ऐसे मिलेगी आम लोगों को राहत

Update: 2023-09-15 08:00 GMT
सितंबर के महीने में आम लोगों को महंगाई से राहत मिल सकती है. अगले महीने जब रिटेल महंगाई के आंकड़ें सामने आएंंगे तो आंकड़ा 6 फीसदी से कम हो सकता है. इसका कारण सितंबर के महीने में हो रही देश में बारिश. जिसकी वजह से चावल और सोयाबीन के प्रोडक्शन में इजाफा हो सकता है. चावल जिसने सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सरकारों और आम लोगों को परेशान किया हुआ है.
भारत में जो सितंबर के आंकड़ें सामने आए हैं, उससे पता चला कि ज्यादा बारिश की वजह से दो प्रमुख खरीफ फसलों, चावल और सोयाबीन को काफी मदद मिलेगी. जिनकी बुआई क्षेत्र में इजाफा देखने को मिला है. इससे पहले अगस्त में भारी कमी के कारण नमी का तनाव पैदा हो गया था, जिससे उत्पादन में गिरावट की चिंता बढ़ गई थी.
चावल और सोयाबीन के रकबे में इजाफा
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, धान का बुआई क्षेत्र 8 सितंबर तक सालाना आधार पर 2.7 फीसदी बढ़कर 40.3 मिलियन हेक्टेयर हो गया है, जबकि सोयाबीन का रकबा 1.3 फीसदी बढ़कर 12.54 मिलियन हेक्टेयर हो गया है. आईसीएआर राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के निदेशक अमरेश कुमार नायक ने कहा कि चावल उत्पादक उत्तरी राज्यों पंजाब और हरियाणा ने सिंचाई के माध्यम से अपनी पानी की आवश्यकता को पूरा किया है. लेकिन पूर्वी राज्यों, जो चावल का बड़ा उत्पादन करते हैं, में सितंबर में अच्छी बारिश हुई है, जिससे चावल की रोपाई में मदद मिली है, जो एक बड़ी चिंता थी.
इन राज्यों में हुई ज्यादा हुई चावल की बुआई
विशेषज्ञों के अनुसार, धीमे फूड इंफ्लेशन से केंद्रीय बैंक को आर्थिक विस्तार को बढ़ावा देने के लिए अपनी मॉने​टरी पॉलिसी को आसान बनाने के लिए अधिक जगह मिल सकती है. बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में धान की ज्यादा बुआई की सूचना है. नायक ने कहा कि अगर बारिश की यह गति अगले कुछ दिनों तक जारी रहती है, तो हमें पिछले साल की तुलना में फसल के साइज में ज्यादा अंतर नहीं दिखेगा. सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक ने कहा, इसी तरह, सितंबर की बारिश ने सोयाबीन की फली को पनपने में मदद की है, जिससे तेल निकाला जाता है. उन्होंने कहा कि हम सोयाबीन की फसल में नमी की कमी को लेकर चिंतित थे. लेकिन अब वह (चिंता) दूर हो गई है.
सितंबर में बारिश की स्थिति
सितंबर के पहले कुछ दिनों में देश के मध्य और दक्षिणी हिस्सों में बारिश हुई, जिससे महीने की पहली छमाही में कुल वर्षा की कमी 6 फीसदी कम हो गई, जो अगस्त में 36 फीसदी की कमी के साथ 122 वर्षों में सबसे शुष्क था. मध्य भारत में, जहां अगस्त में 47 फीवसदी की कमी थी, लंबी अवधि के औसत (एलपीए) से 13 फीसदी अधिक बारिश हुई है, जबकि दक्षिण में इस महीने एलपीए से 47 फीसदी अधिक बारिश हुई है. हालांकि, सितंबर के पहले 15 दिनों में उत्तर-पश्चिम और पूर्व/उत्तर-पूर्व में अभी भी क्रमशः 30 फीसदी और 44 फीसदी की कमी है. भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून के 21 सितंबर तक मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में व्यापक बारिश होने की उम्मीद है.
फसल और महंगाई में कनेक्शन
सभी फसलों का कुल बोया गया क्षेत्रफल 108.85 मिलियन हेक्टेयर है, जो पिछले साल के 108.8 मिलियन हेक्टेयर से थोड़ा अधिक है. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि बारिश से मदद मिलेगी, लेकिन अंतिम फसल महंगाई पर असर तय करेगी. बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि बढ़ता रकबा निश्चित रूप से चावल के लिए सकारात्मक है, लेकिन इसे बाजार में उपज लाने में तब्दील करना होगा. इंड-रा के सीनियर एनालिस्ट पारस जसराई ने कहा कि हल्की बारिश भी अहम भूमिका निभा सकती है. उन्होंने कहा कि बुवाई अच्छी हुई है, लेकिन बारिश में स्थानिक अंतर पर ध्यान देना होगा क्योंकि इसका बड़ा असर हो सकता है. उदाहरण के लिए, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और पंजाब में बारिश की कमी रही है.
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