SBI रिपोर्ट: पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से दूसरी चीजें हो रहीं प्रभावित
ईंधन की कीमतों में हो रही लगातार वृद्धि के चलते लोगों का बजट गड़बड़ा गया है. ऐसे में खर्चों को मैनेज करने के लिए बहुत से लोग अपने स्वास्थ सेवाओं में होने वाले खर्चों में कटौती कर रहे हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। धन की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि से न सिर्फ मुद्रास्फीति प्रभावित हो रही है, बल्कि इसका नकारात्मक प्रभाव लोगों की सेहत पर भी पड़ रहा है. क्योंकि लोग ईंधन में हुई बढ़ोतरी को मैनेज करने के लिए अपने हेल्थ में होने वाले खर्च में कटौती कर रहे हैं. इस बात का खुलासा भारतीय स्टेट बैंक के एक शोध रिपोर्ट में हुआ है.
रिपोर्ट के मुताबिक, "एसबीआई कार्ड खर्च के हमारे विश्लेषण से संकेत मिलता है कि ईंधन पर बढ़े हुए खर्च को समायोजित करने के लिए स्वास्थ्य व्यय पर खर्च में काफी कमी आई है. वास्तव में, इस तरह के खर्च ने दूसरी वस्तुओं जैसे—किराना और उपयोगिता सेवाओं पर खर्च को काफी बढ़ा दिया है. ईंधन जैसी वस्तुओं पर गैर-विवेकाधीन खर्च का हिस्सा जून, 2021 में बढ़कर 75% हो गया, जो मार्च, 2021 में 62% था.
एजेंसी ने तर्क दिया कि ईंधन की कीमतों को कम करने के लिए कर युक्तिकरण एक मात्र जरिया है. तभी लोगों को राहत मिल सकती है. सरकार राजस्व की वृद्धि के लिए लगातार पेट्रोल और डीजल पर उच्च उत्पाद शुल्क और वैट के माध्यम से वृद्धि कर रही है. ऐसे में अर्थशास्त्रियों लेवी में कमी का सुझाव दे रहे हैं.केयर रेटिंग्स की एक हालिया रिपोर्ट ने सुझाव दिया था कि भारत में पेट्रोल, जिसकी कीमत देश के कई हिस्सों में 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक है, ब्रिक्स, इंडोनेशिया, थाईलैंड और अमेरिका की तुलना में अधिक महंगा था.
17 राज्यों में पेट्रोल 100 के पार
अब 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पेट्रोल का भाव 100 रुपये प्रति लीटर के पार जा चुका है. इनमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, लद्दाख, कर्नाटक, जम्मू एंड कश्मीर, ओड़िशा, तमिलनाडु, बिहार, केरल, पंजाब, सिक्किम, पुड्डुचेरी, दिल्ली और पश्चिम बंगाल शामिल हैं.