रिपोर्ट : उज्ज्वला योजना से जंगलों पर ईधन का दबाव 5.46 फीसद हुआ कम

केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना (Ujjwala scheme) से महिलाओं को राहत मिलने का तथ्य तो सर्वविदित है।

Update: 2021-03-15 12:45 GMT

केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना (Ujjwala scheme) से महिलाओं को राहत मिलने का तथ्य तो सर्वविदित है। एक अच्छी और नई खबर यह भी है कि इससे जंगल भी बचे हैं। भारतीय वन सर्वेक्षण देहरादून की वर्ष 2020 की रिपोर्ट उज्ज्वला योजना से जंगल बचने की हकीकत की गवाह है। रिपोर्ट बताती है कि मध्य प्रदेश के जंगलों पर ईधन का दबाव 5.46 फीसद कम हुआ है यानी रसोई गैस घरों तक पहुंचने के कारण लोगों ने ईधन के लिए जंगलों की कटाई कम की है। मप्र टॉप 10 में यह रिपोर्ट वर्ष 2011 में हुए सर्वे और फिर 2018-19 के सर्वे की तुलना के आधार पर तैयार की गई है।

पिछले नौ साल में प्रदेश में ईधन के लिए जंगल पर निर्भरता हुई कम
वर्ष 2011 तक ईधन के तौर पर जितनी लकड़ी कटाई होती थी, अब उसके मुकाबले कटाई में कमी आई है। हालांकि ईधन के रूप में लकड़ी, केरोसिन, बिजली और गोबर का उपयोग करने में मध्य प्रदेश देश में टॉप-10 में है। सर्वेक्षण संस्थान ने ईधन के लिए जंगलों पर दबाव को लेकर दिसंबर 2018 से जून 2019 के बीच देशभर में सर्वे किया था। यह रिपोर्ट परीक्षण के लिए राज्यों को भेजी गई है, जो बताती है कि पिछले नौ साल में प्रदेश में ईधन के लिए जंगल पर निर्भरता कम हुई है। रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर रसोई गैस उपलब्ध कराने से यह परिवर्तन संभव है। विशेषज्ञों ने देशभर में जंगल के पांच किमी की परिधि में स्थित गांवों को अध्ययन में शामिल किया है।

ऐसे किया गया सर्वे
अध्ययन में जंगल के अंदर के पांच, जंगल के बाहर एक किमी की परिधि में स्थित 30, तीन किमी की परिधि में स्थित 23 और पांच किमी की परिधि में स्थित 22 गांवों को शामिल किया है। दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन 'नईदुनिया' ने रिपोर्ट की वास्तविकता जानने के लिए उन जिलों में गैस रिफिलिंग के आंकड़े जुटाए, जो घने वन क्षेत्रों के आसपास हैं। इनमें मंडला, बालाघाट और छिंदवाड़ा जैसे आदिवासी बहुल इलाके शामिल हैं। यह आंकड़ा भले ही कम दिखता हो, लेकिन वनों की कटाई में करीब छह फीसद की कमी आने के पीछे यह बड़ा कारण है। मंडला जिले में 11 फीसद, बालाघाट जिले में करीब 15 फीसद, छिंदवाड़ा जिले के तामिया में 25 से 30 फीसद लोग सिलेंडर की रिफिलिंग करवा रहे हैं।
डॉ. सुदेश वाघमारे (सेवानिवृत्त वन अधिकारी) का मानना है कि उज्ज्वला योजना आने से जंगलों पर ईधन का दबाव कम तो हुआ है। ईधन को लेकर जंगलों पर दबाव कम होने का एक कारण ईट भट्टा लगाने के नियमों में परिवर्तन भी है। इससे भट्टों में ईधन की खपत कम हुई है।


Tags:    

Similar News

-->