नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास को 'गवर्नर ऑफ द ईयर' (Governor Of The Year) अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। लंदन सेंट्रल बैंकिंग की ओर से शक्तिकांत दास को यह सम्मान दिया गया है। शक्तिकांत दास ने रिजर्व बैंक का गवर्नर पद संभालने के बाद कई बड़े फैसले लिए हैं। हाल ही में उन्होंने दो हजार रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने का एक बड़ा फैसला लिया है। सेंट्रल बैंकिंग एक अंतरराष्ट्रीय आर्थिक रिसर्च जरनल है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास को इस अवॉर्ड के लिए इसलिए चुना गया क्योंकि कोविड महामारी के दौरान और आर्थिक उठापठक के दौरान पैदा हुए आर्थिक संकट के बीच भारत के बैंकिंग सिस्टम को उन्होंने बखूबी संभाला। वहीं महंगाई को मैनेज करने में भी उन्होंने दक्षतापूर्वक सफलता हासिल की।
इससे पहले मंगलवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने लंदन में ब्रिटेन की सेंट्रल बैंकिंग की ओर से आयोजित ग्रीष्मकालीन बैठकों में दिए गए उद्घाटन संबोधन में कहा था कि मुद्रास्फीति पर नियंत्रण की प्रक्रिया धीमी और लंबी होगी और मध्यम अवधि में 4 प्रतिशत के मुद्रास्फीति लक्ष्य को हासिल करने का लक्ष्य है।
सेंट्रल बैंक द्वारा गवर्नर का नाम मार्च 2023 में ही पुरस्कार के लिए उनके नाम की सिफारिश की गई थी। वैश्विक उथल-पुथल और कठिन परिस्थितियों के दौरान केंद्रीय बैंक के उनके नेतृत्व के लिए उन्हें उपाधि से सम्मानित किया गया है। उन्होंने भारत के रिजर्व बैंक और पूरी बैंकिंग प्रणाली को कोविड-19 महामारी, महत्वपूर्ण गैर-बैंकिंग कंपनियों, रूस-यूक्रेन युद्ध, आदि के दौरान प्रबंधित किया। शक्तिकांत दास ने कोविड महामारी और IL&FS संकट में भारत का नेतृत्व किया।