आरबीआई की एमपीसी बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का ऐलान किया है. इसका मतलब यह है कि कर्जदारों को ब्याज दरों में बढ़ोतरी से राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं है. वहीं महंगाई को लेकर उन्होंने कहा कि अभी राहत की कोई उम्मीद नहीं है.
खासकर त्योहारी सीजन में खाने-पीने की चीजों की बढ़ती कीमतों से राहत मिलने की संभावना नहीं है. खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में 15 महीने के उच्चतम 7.44 प्रतिशत से घटकर अगस्त में 6.83 प्रतिशत हो गई, लेकिन अभी भी केंद्रीय बैंक के 2 प्रतिशत से 6 प्रतिशत के सुविधाजनक क्षेत्र से ऊपर है।
साथ ही, मौसम ने सब्जियों, दूध और अनाज जैसी आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन में बाधा उत्पन्न की है। जिसके कारण खाद्य पदार्थों की महंगाई दर में बढ़ोतरी हुई है. इसका मतलब है कि खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ने वाले हैं. चावल से लेकर जरूरी वस्तुओं की कीमतें बढ़ने की आशंका है.
आरबीआई का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 में महंगाई दर में कमी नहीं आएगी. अगले साल मार्च तक महंगाई दर 5.4 फीसदी रहने की उम्मीद है. वहीं, आरबीआई का लक्ष्य महंगाई दर को 4 फीसदी से नीचे रखना है. दूसरी तिमाही के दौरान महंगाई दर 6.4 फीसदी, तीसरी तिमाही के दौरान 5.6 फीसदी और चौथी तिमाही के दौरान 5.2 फीसदी रहने का अनुमान है. जबकि अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसके 5.2 फीसदी रहने की संभावना है.
रेपो रेट कब बढ़ी ?
गौरतलब है कि कोरोना महामारी के बाद आर्थिक वृद्धि के चलते रेपो रेट में कटौती की गई थी. रेपो रेट घटाकर 4 फीसदी कर दिया गया. लंबे समय तक रेपो रेट को 4 फीसदी पर बनाए रखने के बाद रिजर्व बैंक ने महंगाई पर काबू पाने के लिए कई बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है. मई 2022 से रेपो रेट बढ़ना शुरू हुआ. फिलहाल आरबीआई का रेपो रेट 6.5 फीसदी है.
रेपो रेट में कब से नहीं हुआ कोई बदलाव ?
महंगाई पर लगाम लगाने के लिए पांच बैठकों में रेपो रेट में बढ़ोतरी की गई. यह सिलसिला फरवरी 2023 तक जारी रहा. इस दौरान 2.50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. पिछले आठ महीने से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ है.