पुणे के ‘Burger King’ को मिली बड़ी सफलता, 13 साल की लड़ाई की जीता

Update: 2024-08-19 11:43 GMT
 business.व्यापार: 13 साल की लम्बी लड़ाई के बाद पुणे की बर्गर किंग को बड़ी सफलता मिली है। पुणे की अदालत ने अमेरिकी बर्गर किंग कॉरपोरेशन की याचिका को खारिज कर दिया है। Pune Burger King: अमेरिकी फास्ट फूड चेन बर्गर किंग को बड़ा झटका लगा है। पुणे में भारतीय भोजनालय 'बर्गर किंग' ट्रेडमार्क का प्रयोग कर रहा था। इसे रोकने के लिए लिए अमेरिकी बर्गर किंग कॉरपोरेशन ने याचिका दायर की थी। जिसे पुणे की अदालत ने खारिज कर दिया। इकनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार जिला जज सुनील जी वेदपाठक ने पुणे की कंपनी द्वारा दायर काउंटरक्लेम को भी खारिज कर दिया है। यह केस 2011 से चल रहा था। 13 साल से चल रहा था केस बर्गर किंग कॉरपोरेशन की तरफ़ से यह
मुक़दमा
पंकज पाहुजा की अगुवाई में अनाहिता और शापूर ईरानी के ख़िलाफ़ शुरू किया गया था। ये मेसर्स बर्गर किंग के मालिक है। अमेरिकी कंपनी ने नाम के इस्तेमाल के लिए हर्जाने और स्थायी प्रतिबंध की मांग की थी।
बता दें, वकील अभिजीत सरवेट की टीम से सृष्टि अंगाने और राहुल परदेशी ने पुणे के बर्गर किंग का पक्ष रखा था। यह मामला 13 सालों से चल रहा था। जज ने क्या कुछ कहा है? जज वेदपाठक ने अपने फ़ैसले में कहा है कि पुणे की बर्गर किंग इस नाम का उपयोग 1992-93 से कर रही है। जोकि अमेरिकी कंपनी के भारत में रजिस्ट्रेशन‌ से काफी पहले का है। जज ने कहा कि पुणे की कंपनी 30 सालों इस नाम का प्रयोग नहीं किया था। वहीं दूसरी तरफ बर्गर किंग लगातार इस नाम का प्रयोग कर रही थी। जिससे यह ट्रेड मार्क लीगल हो जाता है। वहीं, दूसरी तरफ बर्गर किंग कॉरपोरेशन की स्थापना 1954 में हुई थी। मौजूदा समय में कंपनी BURGER KING नाम से 100 देशों में 13,000 रेस्त्रा संचालित करती है। कंपनी में कुल 30,300 लोग काम करते हैं। इस कंपनी के 97 प्रतिशत रेस्त्रा को स्वतंत्र तौर पर संचालित किया जाता है। कंपनी ने भारतीय बाजार में 2014 में दस्तक दी थी। एशिया में कंपनी की एंट्री 1982 में हो गई थी। मौजूदा समय में एशिया में कंपनी 1200 रेस्त्रा ऑपरेट कर रही है।
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