हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित बाजरा की तीन किस्मों को निजी कंपनियों ने खरीदा
राज्य सरकार ने केवल उन्ही किसानों को योजना का लाभ देने का फैसला किया है जो कि राज्य की ‘मेरी फसल- मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर पंजीकरण करायेंगे
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हरियाणा सरकार इस खरीफ सत्र से बाजरा को राज्य की भावान्तर भरपाई योजना में शामिल करेगी. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मंगलवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इस योजना को लागू करने वाला हरियाणा पहला राज्य है. उन्होंने कहा कि यह फैसला राज्य के किसानों के हित में लिया गया है. एक सरकारी बयान में यह कहा गया है. इससे पहले राज्य में बागवानी फसलों के लिये भी 'भावान्तर भरपाई योजना' को भी लागू किया गया था. योजना में 21 बागवानी फसलों को शामिल किया गया. खट्टर ने कहा कि केन्द्र सरकार ने बाजरा के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,250 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है.
INSIMP राष्ट्रीय कृषि विकास योजना का एक हिस्सा है. यह बाजरा उत्पादन का समर्थन करता है. बाजरा की फसल 60 दिनों में तैयार हो जाती है. भारत में इसकी खेती आसानी से की जा सकती है.
किस किस राज्य में होता है बाजरा
भारत में मुख्य तौर पर ज्वार बाजरा और फिंगर बाजरा उगायी जाती है. इसके अलावा छोटे बाजरा की स्वदेशी किस्में भी यहां उगायी जाती है.
राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु. महाराष्ट्र, गुजरात और हरियाणा में प्रमुख तौर पर इसकी खेती की जाती है.
अब क्या करेगी राज्य सरकार
उन्होंने कहा, पड़ोसी राज्यों राजस्थान और पंजाब ने बाजरा की खरीद के लिये कोई योजना नहीं बनाई है. ऐसे में इन राज्यों से किसान बाजरा बेचने के लिये हरियाणा में ला सकते हैं.
इसलिये राज्य सरकार ने केवल उन्ही किसानों को योजना का लाभ देने का फैसला किया है जो कि राज्य की 'मेरी फसल- मेरा ब्यौरा' पोर्टल पर पंजीकरण करायेंगे.
खरीफ सत्र 2021- 22 के दौरान राज्य के 2.71 लाख किसानों ने मेरी फसल- मेरा ब्यौरा पोर्टल पर बाजरा के लिये पंजीकरण कराया है.
बाजरे की खेती के फायदे
बाजरा गरीब लोगों के लिए भोजन और पौष्टिक सुरक्षा सुनिश्चित करता है. यह फसल उन जगहों में भी हो जाती है जहां पर कम वर्षा और खराब मिट्टी की वजह से अन्य खाद्य फसलों का उत्पादन नहीं हो पाता है. भारत में भी इसकी खेती की जाती है.
बाजरा एक चमत्कारिक फसल है. इसके गुणों के आधार पर इसे भविष्य की फसल भी कहा जाता है क्योंकि यह कठोर परिस्थितियों में भी उगते हैं. यह सूखा रोधी फसलें हैं.
इसकी खेती दो उद्देश्य से की जाती है. यह भोजन के अलावा चारे का भी अच्छा विकल्प है. इसके चलते इसकी खेती भोजन सुरक्षा और आजीविका भी प्रदान करती है.
इसकी खेती पर्यावरण के लिए भी लाभदायक है क्योंकि यह जलवायु परिवर्तन को कम करने में अपना योगदान देता है. इससे वायुमंडल में CO2 को कम करने में मदद मिलती है.
बाजरा के उत्पादन के लिए रासायनिक उर्रवरक की आवश्यकता नहीं पड़ती है. इस फसल पर कीट का प्रभाव नहीं होता है और लंबे समय तक भंडारण करने पर भी यह खराब नहीं होता है.
बढ़ती जनसख्या का पेट भरने के लिए बाजरा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. यह अधिक तापमान बाढ़ और सूखे को भी सहन कर सकता है.