सरसों से लेकर सूरजमुखी तक के बढ़े भाव, एक साल में डेढ़ गुना हुए दाम

भारत में बीते एक साल में खाद्य तेल के दामों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है

Update: 2021-05-30 10:07 GMT

भारत में बीते एक साल में खाद्य तेल (Edible Oils) के दामों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. देश की एक बड़ी आबादी पहले से ही महंगाई, कोरोनावायरस और लॉकडाउन की वजह से जूझ रही है. ऐसे में खाद्य तेल में दामों में हुई इस वृद्धि ने आम आदमी के बजट को तबाह कर दिया है. भारत में आमतौर पर 6 खाद्य तेल का इस्तेमाल किया जाता है. इनमें सरसों का तेल, मूंगफली का तेल, डालडा (वनस्पति तेल), रिफाइंड (सोया तेल), सूरजमुखी का तेल (सनफ्लावर ऑइल) और ताड़ का तेल (पाम ऑइल) शामिल हैं. उपभोक्ता मामले विभाग की वेबसाइट से मिली जानकारी के मुताबिक बीते एक साल में इन तेलों के दाम 20 से 56 फीसदी तक बढ़ गए हैं.

सरसों के तेल के भाव में हुई 44 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ोतरी
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट सरसों के तेल के दामों में करीब 44 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 28 मई को खुदरा बाजार में इसकी कीमत 171 रुपये प्रति लीटर दर्ज की गई. पिछले साल 28 मई को एक लीटर सरसों के तेल की कीमत 118 रुपये थी. वहीं, सूरजमुखी के तेल की कीमतों में भी 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. देखा जाए तो इस साल मई महीने में इन 6 खाद्य तेल की कीमतें बीते 11 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है. देश में खाद्य तेल की खपत की बात करें तो इसमें भी काफी तेजी से उछाल आया है. साल 1993-94 की बात करें तो देश में प्रति व्यक्ति तेल की खपत (ग्रामीण) 370 से 480 ग्राम और 560 से 660 ग्राम (शहरी) प्रति महीना था. ये खपत साल 2011-12 में बढ़कर 670 ग्राम (ग्रामीण) और 850 ग्राम (शहरी) हो गया था.
देश में खाद्य तेल की कुल खपत का 56 फीसदी होता है आयात
भारत में खाद्य तेल की कीमतों में वृद्धि की वजह जानने से पहले आपको ये जानना चाहिए कि देश में तेल की कुल खपत का 56 फीसदी हिस्सा आयात किया जाता है और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बीते कुछ महीनों में खाद्य तेल की कीमतों में अलग-अलग वजहों से तेजी से बढ़ोतरी हुई है. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईएआई) के कार्यकारी निदेशक बी. वी. मेहता ने कहा कि बीते कुछ समय से वनस्पति तेल से जैव ईंधन बनाने पर काफी जोर दिया जा रहा है और ये खाद्य तेल की बढ़ती कीमतों की एक बड़ी वजह है. इसके अलावा अमेरिका और ब्राजील के साथ और भी कई देशों में सोयाबीन तेल से अक्षय ईंधन (Renewable Fuel) बनाने पर भी बल दिया जा रहा है. हैरानी की बात ये है कि कोरोनावायरस और लॉकडाउन के बावजूद बीते एक साल में खाद्य तेल की वैश्विक मांग में भी बढ़ोतरी हुई है.
बढ़ते दामों के पीछे ये भी हैं बड़ी वजहें
इतना ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में खाद्य तेल की बढ़ती कीमतों की प्रमुख वजहों में चीन द्वारा खरीदारी, मलेशिया में मजदूर मामला, ताड़ और सोया उत्पादक क्षेत्रों में ला लीना (मौसम) का बुरा असर, इंडोनेशिया और मलेशिया में ताड़ के कच्चे तेल पर निर्यात शुल्क शामिल हैं. इसके अलावा FAO की मानें तो अपेक्षा से कम खेती और अमेरिका के प्रमुख सोया उत्पादक क्षेत्रों में खेती के लिए विपरीत मौसम भी इसके बड़े कारणों में शामिल हैं.


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