पेट्रोल-डीज़ल के कीमतों पर होगा नियंत्रण, आम आदमी को मिलेगी राहत

अमेरिका ने ईरान के एनर्जी सेक्‍टर पर से कुछ प्रतिबंधों को हटा लिया है

Update: 2021-06-11 08:55 GMT

अमेरिका ने ईरान के एनर्जी सेक्‍टर पर से कुछ प्रतिबंधों को हटा लिया है. इसमें ईरान के तेल पर लगे प्रतिबंध भी शामिल हैं. अधिकारियों के मुताबिक अमेरिका का यह कदम ईरान के प्रति उसके ईमानदार रवैये का सुबूत है. अमेरिका के इन प्रतिबंधों का हटना भारत के लिए बड़ी राहत की बात की है. ईरान से तेल आयात में आसानी हो सकेगी. ऐसे में जानकारों का माननाहै कि देश में पेट्रोल-डीज़ल सस्ता हो सकता है. आपको बता दें कि बीते चार मई से पेट्रोल की कीमतों में तेजी का रुख जारी है. कभी लगातार तो कभी ठहर-ठहर कर 23 दिनों में ही दिन में पेट्रोल 5.53 रुपये प्रति लीटर महंगा हो गया है. वहीं, इस दौरान डीजल का दाम 5.97 रुपये प्रति लीटर चढ़ चुका है.

तुरंत शुरू होगा तेल आयात
ऐसे समय में जब पेट्रोल की कीमतें देश में 100 रुपए प्रति लीटर तक पहुंची चुकी हैं, ईरान की तरफ से आने वाली यह खबर निश्चित तौर पर राहत की बात है. भारत का अधिकांश कच्‍चा तेल ईरान से ही खरीदा जा रहा था मगर साल 2019 के बाद से स्थितियां बदल गई थीं.इस वर्ष के अप्रैल माह से ही ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में परमाणु संधि को लेकर वार्ता जारी थी.
ईरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के हटने से भारत फिर से तेल का आयात शुरू कर सकता है. साल 2019 के मध्‍य से ईरान से तेल आयात बंद है. भारत सरकार के सीनियर ऑफिसर की तरफ से अप्रैल माह में कहा गया था कि एक बार प्रतिबंध हट जाते हैं तो हम ईरान से तेल आयात पर विचार किया जा सकता है. ऑफिसर की मानें तो भारतीय रिफाइनरी कंपनियों ने इस संदर्भ में तैयारी शुरू कर दी है और वे प्रतिबंध हटते ही फिर से कॉन्‍ट्रैक्‍ट कर सकती हैं.
अमेरिका का अहम फैसला
पिछले दिनों खबरें आई थीं कि ईरान और दुनिया की 6 महाशक्तियों ने साल 2015 में हुई परमाणु डील को दोबारा शुरू करने की दिशा में अहम प्रगति की है. ईरान की तरफ से कहा गया था कि परमाणु समझौते को फिर से शुरु करने के लिए जारी वार्ता में कुछ प्रगति हुई है. मगर इसमें कुछ अहम मुद्दे जस के तस बने हुए ह‍ैं. मंत्रालय के बयान के बाद से इस बात के कयास लगाए गए थे कि जल्‍द ही अमेरिका, ईरान पर लगे प्रतिबंधों को लेकर बड़ा फैसला कर सकता है.
तेल की कीमतों पर होगा नियंत्रण
ईरान से तेल आयात के बाद बाजार में तेल की कीमतों पर लगाम लग सकेगी. साथ ही भारत को आयात के लिए एक और स्‍त्रोत मिल सकेगा. वित्त वर्ष 2020-21 में ईराक, भारत का सबसे बड़ा तेल स्‍पलायर था. उसके बाद सऊदी अरब और यूनाइटेड अरब अमीरा (यूएई). इसके बाद चौथे नंबर पर नाइजीरिया और पांचवां स्‍थान अमेरिका था. सरकार के सूत्रों के मुताबिक भारत पिछले लंबे समय से तेल उत्पादक देशों से उत्पादन सीमा हटाकर उत्पादन बढ़ाने की मांग कर रहा है. तेल के दामों में इजाफा भारत समेत दुनिया की इकोनॉमी रिवाइवल के लिए खतरा है.
क्‍यों सस्‍ता है ईरान से तेल आयात
भारत अपनी जरूरतों का 85 प्रतिशत से अधिक तेल आयात करता है. साल 2019 से पहले भारत, ईरान का दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक था. ईरान के कच्चे तेल से कई फायदे हैं. इसमें ट्रैवेल रूट छोटा है और इससे माल ढुलाई सस्‍ती पड़ती है. साथ ही पेमेंट के लिए भी लंबा समय मिलता है. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साल 2018 में ईरान के साथ एतिहासिक परमाणु डील को खत्‍म कर दिया था. ये डील ओबामा प्रशासन के समय साल 2015 में हुई थी. इसके बाद ईरान पर कई प्रतिबंध लगा दिए गए और फिर वहां से निर्यात घटता चला गया. पाबंदी के बाद भारत समेत कुछ देशों को छूट दी गयी थी, जो 2019 में खत्‍म हो गई थी.
एक माह में राहत मिलने की उम्‍मीद
ईरान ने भी तेल का उत्‍पादन बढ़ाने की दिशा में तेज गति से काम शुरू कर दिया है. ईरान पर लगे प्रतिबंधों की वजह से देश को खासा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है. इस देश की अर्थव्‍यवस्‍था तेल पर ही निर्भर है. भारत जैसे देशों का तेल निर्यात करके ईरान अपना खर्चा चलाता है लेकिन प्रतिबंधों की वजह से बड़े आयातक देशों ने ईरान से तेल खरीदना बंद कर दिया था. ऑयल मिनिस्‍ट्री की वेबसाइट शाहना ने नेशनल ईरानियन ऑयल कंपनी (NOC) के प्रोडक्‍शन मैनेजर फारुख अलिखानी के हवाले से लिखा है कि एक माह के अंदर ज्‍यादा से ज्‍यादा कच्‍चे तेल का उत्‍पादन बहाल कर लिया जाएगा.


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