देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों ने बनाया नया रिकॉर्ड, एक साल से मोदी सरकार ने नहीं बढ़ाया टैक्स, जाने फिर कैसे हुआ महंगा
देश भर में पेट्रोल-डीजल की कीमतें अपने ऐतिहासिक ऊंचाई पर हैं. कई शहरों में पेट्रोल 110 रुपये प्रति लीटर के पार बिक रहा है. वहीं कई राज्य ऐसे हैं जहां डीजल की कीमत भी 100 रुपये के आंकड़े को पार कर गई है. इस बीच महंगे तेल को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार चारों ओर से आलोचना झेल रही है. विपक्ष तेल की कीमतों को लेकर लगातार हावी है और देशभर में अलग-अलग जगहों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.
तेल की कीमतों को लेकर मचे घमासान के बीच विभिन्न पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि को लेकर विपक्ष के निशाने पर आई केंद्र सरकार ने कहा कि पिछले एक वर्ष में पेट्रोल और डीजल पर केंद्र सरकारी की तरफ से टैक्स में कोई वृद्धि नहीं की गई है. इस बात की जानकारी पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को दी.
यहां यह जान लेना जरूरी होगा कि अप्रैल 2020 से अभी तक पेट्रोल की कीमत 32 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ गई है. पुरी ने कहा कि पिछले एक वर्ष में पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय करों में कोई वृद्धि नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल के खुदरा बिक्री भाव में हुई वृद्धि उच्च अंतरराष्ट्रीय उत्पाद मूल्यों तथा विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा वसूले गए वैट में वृद्धि के चलते आधार मूल्य में बढ़ोतरी के कारण हुई है.
उन्होंने कहा कि सरकार कच्चे तेल, पेट्रोल और डीजल के अंतरराष्ट्रीय मूल्य में अस्थिरता से संबंधित मुद्दे को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठा रही है.
पुरी ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों को क्रमश: 26 जून 2010 और 19 अक्टूबर 2014 से बाजार निर्धारित बना दिया गया है. उसके बाद से सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां अंतरराष्ट्रीय उत्पाद मूल्यों तथा अन्य बाजार दशाओं के आधार पर पेट्रोल और डीजल के मूल्य निर्धारण के संबंध में निर्णय लेती हैं. पूरी के मुताबिक पेट्रोल और डीजल की कीमतें तेल विपणन कंपनियों द्वारा अंतरराष्ट्रीय मूल्यों तथा रुपया-डॉलर विनिमय दर में होने वाली परिवर्तनों के आधार पर बढ़ाई गई हैं.