Jio Coin लाने की तैयारी में थे मुकेश अंबानी, जानिए इस मामले पर सरकार और सुप्रीम कोर्ट का क्या है फैसला

क्रिप्टोकरेंसी की चर्चा लंबे समय से हो रही है, लेकिन पिछले कुछ समय से इसकी चर्चा तेज हो गई है

Update: 2021-05-16 18:25 GMT

क्रिप्टोकरेंसी की चर्चा लंबे समय से हो रही है, लेकिन पिछले कुछ समय से इसकी चर्चा तेज हो गई है. दुनिया के दिग्गज उद्योगपति इसका खूब प्रचार करते हैं. कई कंपनियों ने इससे पेमेंट लेना भी शुरू कर दिया है. ऐसे में भारत के उद्योगपति, रिजर्व बैंक, यहां के बैंक्स और सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना है इसके बारे में जानकारी जरूरी है. ऐसे इसलिए क्योंकि एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करीब 10 हजार करोड़ रुपए क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किया गया है.

रिजर्व बैंक और सरकार अपना स्टैंड क्लियर कर चुकी है. सरकार तो ऐसे कानून लाने पर विचार कर रही है जिसकी मदद से प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाई जा सके. वहीं रिजर्व बैंक क्रिप्टोकरेंसी के आइडिया से असहमत नहीं है लेकिन उसका कहना है कि वह अपना डिजिटल करेंसी लेकर आएगा जो पूरी तरह रेग्युलेटेड होगा. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सेंट्रल बैंक ने देश के सरकारी और प्राइवेट बैंकों से कहा है कि वे क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के लिए काम करना बंद करें.
मिंट की 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एशिया के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी Jio Coin के नाम से अपनी क्रिप्टोकरेंसी लाने की तैयारी कर रहे थे. उस रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 50 लोगों की टीम ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है. इस टीम पर खुद उनके बड़े बेटे आकाश अंबानी की नजर है. उस समय रिजर्व बैंक और सरकार के स्टैंड की बात करें तो रिपोर्ट के मुताबिक, तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ-साफ कहा था कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी मान्यता नहीं है. वहीं रिजर्व बैंक कई मौकों पर कह चुका था कि बिटक्वॉइन समेत किसी भी क्रिप्टोकरेंसी का क्रिएशन, ट्रेडिंग, पेमेंट को कानूनी मान्यता नहीं है. वित्त मंत्रालय ने तो बिटक्वॉइन को पोंजी स्कीम करार दिया था. सरकार और रिजर्व बैंक के स्टैंड को लेकर जब जियो टेलिकॉम से पूछा गया था तो उसकी तरफ से किसी तरह का जवाब नहीं आया था.
2018 में RBI ने बैंकों से कहा था कि वे बिटक्वॉइन में ट्रांजैक्शन को मंजूर नहीं करें. बाद में क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज की तरफ से मार्च 2020 में इस निर्देश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक के फैसले को पलट दिया और बैंकों को छूट दी गई कि वह क्रिप्टोकरेंसी को बैंकिंग सुविधा प्रदान कर सकते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक इस समय देश में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वालों की संख्या करीब 1 करोड़ है और इन लोगों के पास करीब 10 हजार करोड़ रुपए की क्रिप्टोकरेंसी है. बैंकिंग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रॉयटर्स से नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि RBI का कहना है कि इस रास्ते से मनी लॉन्ड्रिंग की भारी संभावना है. इसलिए बैंकों को बैंकिंग सुविधाएं नहीं उपलब्ध करानी चाहिए.
रिजर्व बैंक से निर्देश मिलने के कारण ही ICICI बैंक, Citibank, Kotak Mahindra जैसे बैंक क्रिप्टोकरेंसी मार्केट के लिए सुविधाओं की कटौती कर रहे हैं. उसी तरह ऐक्सिस बैंक और इंडसइंड बैंक भी क्रिप्टोकरेंसी संबंधित किसी तरह के पेमेंट पर रोक लगाने की प्रक्रिया में है.


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