बिना दावा किए रोजगार सृजन का संदेश, मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में 60 लाख नौकरी के होगें सृजन
पांच राज्यों के चुनाव में विपक्षी दलों के पास सरकार के खिलाफ कोई एक मुद्दा है तो वह है रोजगार। कोरोना काल में आर्थिक नुकसान के साथ सबसे ज्यादा कुछ प्रभावित हुआ तो वह है
नई दिल्ली। पांच राज्यों के चुनाव में विपक्षी दलों के पास सरकार के खिलाफ कोई एक मुद्दा है तो वह है रोजगार। कोरोना काल में आर्थिक नुकसान के साथ सबसे ज्यादा कुछ प्रभावित हुआ तो वह है रोजगार। सरकार इससे अवगत है और इसीलिए बिना कोई दावा किए बजट में कई बार रोजगार सृजन का उल्लेख हुआ। अगले पांच साल में अकेले मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में ही 60 लाख रोजगार सृजन का संकेत दिया है जबकि सर्विस सेक्टर को विशेष मदद देने की बात कही गई है।
मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में पीएलआइ
यानी कोई दावा किए बगैर सरकार ने युवाओं को संदेश दिया है कि बदलते जमाने में बहुत बड़ा क्षेत्र अवसर के रूप मे उभरेगा और ऐसे रोजगार का सृजन हो सकेगा जो कौशल से जुड़ेगा। बजट भाषण में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़े 14 सेक्टर में पीएलआइ का हवाला देते हुए कहा कि इसका भविष्य बहुत अच्छा दिख रहा है। बड़ी संख्या में निवेश की संभावना बनी है।
'इज आफ डूइंग बिजनेस' की दिशा में कई सुधार
इसके कारण जहां अगले पांच साल मे 30 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन हो सकता है वहीं इसमें 60 लाख रोजगार की संभावना है। बजट में उद्योग जगत और 'इज आफ डूइंग बिजनेस' की दिशा में कई सुधार किए गए हैं और उसका विस्तार किया जा रहा है। सरकार ने यह भी घोषणा की कि एमएसएमइ के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम एक साल के लिए बढ़ाई जा रही है और खासकर सर्विस सेक्टर के लिए एक लाख करोड़ के क्रेडिट गारंटी का प्राविधान किया है।
हर क्षेत्र में खुलेगा रोजगार का दरवाजा
पीएम गतिशक्ति योजना के तहत भी केंद्र-राज्य और निजी क्षेत्र में रोजगार और उद्यमिता का उल्लेख किया गया। इसी तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर डिजाइनिंग, ग्रीन इनर्जी, वेस्ट मैनेजमेंट जैसे कई क्षेत्रों के विस्तार का उल्लेख करते हुए यह याद दिलाया कि हर क्षेत्र में रोजगार का बड़ा द्वार खुलेगा। कोरोना के संकट काल के बावजूद देश की आर्थिक प्रगति तेज है और इसे बरकरार रखने के लिए सरकार ने खुलकर खर्च करने का संकेत भी दिया है।
हमेशा से संवेदनशील मुद्दा रहा है रोजगार
बहरहाल सरकार किसी आंकड़े का दावा करने की बजाय अवसर पैदा करने की कवायद में ज्यादा जुटी है। रोजगार हमेशा से संवेदनशील मुद्दा रहा है। इतिहास गवाह है कि रोजगार के आंकड़ों पर दावे से हर सरकार घिरती रही है। ऐसे में संभवत: सरकार किसी दावे की बजाय अवसर प्रदान करने पर ज्यादा जोर देना चाहती है।