अफगानिस्तान के मुद्दे पर विदेश मंत्री की अगुवाई में विपक्ष के साथ बैठक आज, इन सवालों पर जवाब दे सकती हैं सरकार
अफगानिस्तान की सत्ता में आए तालिबानी तूफान ने भारत समेत कई मुल्कों के लिए संकट के सवाल खड़े कर दिए.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान की सत्ता में आए तालिबानी तूफान ने भारत समेत कई मुल्कों के लिए संकट के सवाल खड़े कर दिए. साथ ही दक्षिण एशिया समेत कई मुल्कों के रणनीतिक समीकरणों को भी बदल दिया है. इन बदलावों को लेकर भारत जैसे मुल्क में भी कई प्रश्न उठ रहे हैं और आज होने वाली सर्वदलीय बैठक में सरकार की तरफ से इन सवालों के जवाब देने की कोशिश होगी.
अफगानिस्तान में 15 अगस्त को तालिबानी कब्जे के बाद से भारत सरकार की तरफ से इस घटनाक्रम पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि संसद में विभिन्न दलों के नेताओं के सामने जब विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर अपनी टीम के साथ स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश करेंगे.
विदेश नीति विकल्पों पर सबको भरोसे में ले सरकार- विपक्ष
गौरतलब है कि कांग्रेस समेत विपक्षी दलों की तरफ से यह सवाल उठाए जाते रहे हैं कि सरकार तालिबान के साथ हो रहे संपर्क और संवाद को लेकर तथ्य सामने रखे. इसके अलावा अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों की सुरक्षित निकासी और बदली स्थिति में भारत के सामने मौजूद विदेश नीति विकल्पों पर भी सबको भरोसे में ले.
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला सभी नेताओं को विदेश मंत्रालय की तरफ से भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी देंगे. वहीं शुरुआत में विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर एक शुरुआती टिप्पणी करेंगे. सूत्रों के अनुसार बैठक में वरिष्ठ नेताओं के सवालों का जवाब देने के लिए भी वक्त रखा गया है.
बैठक में पक्ष-विपक्ष के कौन-कौनसे नेता होंगे शामिल?
बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके तीन राज्यमंत्रियों के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल भी मौजूद रहेंगे. साथ ही कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा में नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, टीएमसी से सुदीप बंदोपाध्याय और राज्यसभा में पार्टी नेता सुकेंदु शेखर रॉय, एनसीपी से शरद पवार समेत अनेक नेता रहेंगे. बैठक की मेजबानी संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी करेंगे. इस अहम बैठक के लिए संसद में मौजूद सभी छोटे-बड़े दलों को न्यौता दिया गया है.
महत्वपूर्ण है कि इस बैठक में विदेश मंत्रालय की तरफ से ऑपरेशन देवी शक्ति यानी अफगानिस्तान में भारतीयों और अफगान अल्पसंख्यकों समेत जरूरतमंद लोगों को निकालने के लिए चलाई जा रही मुहिम पर जानकारी दी जाएगी. भारत ने करीब 800 लोगों को अपनी विशेष उड़ानों के जरिए निकाला है. वहीं सर्वदलीय बैठक से पहले भी करीब 180 लोगों को एक वायुसेना विमान लाया है. इस उड़ान में भारतीय नागरिकों और अफगान सिख परिवारों के अलावा कुछ अन्य पड़ोसी देशों के नागरिकों को सुरक्षित निकालने में भी भारत ने मदद की है.
सूत्रों के मुताबिक, सरकार की तरफ से विपक्ष को यह भी बताया जाएगा कि अफगानिस्तान के साथ भारत के संबंध और संपर्क व्यापक हैं. ऐसे में व्यापक संबंधों और हितों को ध्यान में रखते हुए ही आगे की कूटनीतिक रणनीति अपनाई जाएगी. गौरतलब है कि तालिबान के साथ बातचीत के बारे में उठे सवालों पर विदेश मंत्रालय आधिकारिक तौर पर कई बार यह कह चुका है कि भारत अफगानिस्तान के सभी भागीदार पक्षों के साथ संपर्क में है.
भारत को तालिबान के राजनीतिक फार्मूले का इंतजार
सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि भारत फिलहाल इस बात का इंतजार कर रहा है कि तालिबान की सरकार किस शक्ल और किस राजनीतिक फार्मूले के साथ आती है. हामिद करजई, अब्दुल्ला अब्दुल्ला जैसे नेताओं का भावी सरकार को चलाने वाली परिषद में होना भारत के लिए अहम होगा. क्योंकि इससे भारत को अपने हितों की हिफाजत के लिए संवाद में सुविधा होगी. इसके अलावा पारंपरिक नेताओं की मौजूदगी तालिबान की मनमानी और पाकिस्तानी के एक-तरफा प्रभाव को बढ़ने से रोकेगी. सर्वदलीय बैठक में सरकार की कोशिश अफगानिस्तान पर भारत के अंतरराष्ट्रीय संवाद और संपर्कों पर भी जोर देने की होगी.
गौरतलब है कि अफगानिस्तान संकट के बीच जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल से बात हुई. वहीं विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर की अमेरिका के विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन से दो बार फोन पर वार्ता हुई. साथ ही कतर के विदेश मंत्री से भी उन्होंने मुलाकात पर अफगानिस्तान में राजनीतिक स्थिरता लाने के प्रयासों पर बात की थी. इतना ही नहीं इस बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी अपने अमेरिकी समकक्ष जैक सुलिवन से फोन पर बात की थी.