LIC ग्राहकों को मिली बड़ी सुविधा, इस सर्टिफिकेट को दिए बिना पाएं रकम
कोरोना की भीषण लहर के बीच एलआईसी होल्डर के लिए एक राहत की खबर है
कोरोना की भीषण लहर के बीच एलआईसी होल्डर के लिए एक राहत की खबर है. एलआईसी ने अपने पॉलिसीहोल्डर को एक खास सुविधा दी है. एलआईसी के एक सर्कुलर के मुताबिक, पॉलिसी होल्डर ईमेल के जरिये भी अपना लाइफ सर्टिफिकेट भेज सकते हैं. एलआईसी की जिस पॉलिसी में मैच्योरिटी पर रिटर्न मिलता है, उसे पाने के लिए लाइफ सर्टिफिकेट देना होता है. अभी तक यह सर्टिफिकेट सर्विंग ब्रांच में जमा करना होता था. अभी कोरोना के खतरे को देखते हुए ईमेल के जरिये लाइफ सर्टिफिकेट जमा करने की सुविधा दी गई है.
एलआईसी ने एक प्रेस रिलीज में कहा है, जिस एन्युटी में पूंजी का रिटर्न मिलता है, उसके लिए लाइफ सर्टिफिकेट जमा करने पर 31.10.2021 तक छूट दी गई है. कुछ अन्य केस में ईमेल के जरिये लाइफ सर्टिफिकेट प्राप्त किया जा रहा है. एलआईसी ने वीडियो कॉल के जरिये भी लाइफ सर्टिफिकेट लेने की प्रक्रिया शुरू की है. इसके साथ ही एलआईसी ने डेथ क्लेम सेटलमेंट प्रोसेस को भी आसान बनाया है. किसी मरीज की मृत्यु होने पर डेथ सर्टिफिकेट कुछ अन्य स्रोत से भी लेकर जमा किए जा सकते हैं. कोविड के इलाज के दौरान किसी मरीज की मौत हॉस्पिटल में होती है तो म्यूनिसिपल डेथ सर्टिफिकेट के बदले कुछ अन्य कागजात जमा कर क्लेम सेटल किया जा सकता है.
डेथ सर्टिफिकेट में छूट
किसी सरकार विभाग से जारी हॉस्पिटल की डिस्चार्ज सम्मरी, डेथ सम्मरी जिस पर निधन का समय और तारीख लिखी हो, ईएसआई, आर्म्ड फोर्सेस या कॉरपोरेट हॉस्पिटल की ओर से जारी सर्टिफिकेट भी जमा कराया जा सकता है. कोई एलआईसी का क्लास वन अधिकारी भी सर्टिफिकेट साइन कर दे सकता है. एलआईसी का डेवलपमेंट ऑफिसर जिसका 10 साल का अनुभव हो, वह भी सर्टिफिकेट जारी कर सकता है. अंतिम संस्कार या शव दफनाने पर मिलने वाले सर्टिफिकेट को भी दिया जा सकता है.
60 मिनट में निपटाएं केस
दूसरी ओर आईआरडीए ने सभी जनरल और हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों से कहा है कि कोई भी क्लेम सेटलमेंट 60 मिनट के अंदर क्लियर किया जाए. यह इसलिए किया गया है ताकि कोरोना में किसी पॉलिसीहोल्डर का अस्पताल आदि का खर्च आसानी से चुकाया जा सके. आईआरडीए ने इंश्योरेंस कंपनियों और संबद्ध अस्पतालों से कहा है कि वे कैशलेस इलाज की सूरत में 60 मिनट के भीतर बिल का हिसाब क्लियर करें.
अभी हाल में दिल्ली हाईकोर्ट ने आईआरडीए को निर्देश दिया था वह इंश्योरेंस कंपनियों को ऐसा आदेश दे ताकि 60 मिनट के अंदर हॉस्पिटल का कैशलेस बिल चुकता हो सके. इससे रिकवर हुए मरीजों को आसानी होगी और वे जल्द घर लौट सकेंगे. इससे हॉस्पिटल के बेड जल्द खाली होंगे और दूसरे मरीजों को दाखिला मिल सकेगा.
क्या है IRDA का निर्देश
इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने हॉस्पिटल से आग्रह किया है कि वे कोरोना के इलाज में किसी मरीज के साथ भेदभाव न बरतें. आईआरडीए ने कहा कि कुछ शिकायतें ऐसी मिली हैं जिसमें हॉस्पिटल मरीजों से कोरोना के इलाज में ज्यादा पैसा वसूल रहे हैं, कैशलेस मेडिक्लेम होने के बावजूद मरीजों से इलाज की रमक कैश में देने के लिए मजबूर कर रहे हैं. ऐसे नेटवर्क हॉस्पिटल को निर्देश है कि वे मरीजों को कैशलेस इलाज की सुविधा दें. अगर ऐसा नहीं होता है तो हॉस्पिटल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है.
क्लेम सेटलमेंट में तेजी
देश की कई हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों ने कोरोना को देखते हुए क्लेम सेटलमेंट में तेजी लाने का फैसला किया है. उधर एलआईसी ने भी पॉलिसी के क्लेम सेटलमेंट में तेजी लाई है और पॉलिसीहोल्डर के परिवार को राहत दी जा रही है. मैक्स बुपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने अब तक 150 करोड़ रुपये का कोविड क्लेम सेटल किया है. कंपनी ने अब तक 14,500 कस्टमर्स की शिकायतें निपटाई हैं. कोरोना की दूसरी वेव पहली से बेहद खतरनाक है इसमें लोगों की मौत ज्यादा हो रही है. लोगों की वित्तीय स्थिति पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है. लोग समय से पॉलिसी का प्रीमियम नहीं चुका पा रहे हैं.