जानें क्यों दलहन छोड़कर अब कपास व सोयाबीन की तरफ रुख कर रहे किसान

कपास व सोयाबीन की तरफ रुख कर रहे किसान

Update: 2022-07-03 16:07 GMT
इस साल किसानों ने खरीफ सीजन (Kharif Season) में औसत से अधिक बारिश की उम्मीद की थी. इसी के चलते किसानों ने पूरी तैयारी कर ली थी. लेकिन जून में मौसम खेती के लिए अनुकूल नहीं रहा. महाराष्ट्र के तमाम जिलों में कम बारिश की वजह से खरीफ फसलों (Kharif Crops) की बुवाई प्रभावित हुई है. वाशिम जिले की बात करें तो यहां पर कुल रकबे का मात्र 57.10 प्रतिशत ही बोया गया है. यहां भी बहुत से किसानों ने जो बुवाई की है, उसके बीज अंकुरित नहीं हुए हैं. इसलिए खरीफ की फसल तभी बचेगी जब पर्याप्त बारिश (Rain) होगी. बुवाई में देरी के कारण यह स्पष्ट हो गया है कि इस साल उड़द और मूंग का रकबा कम हो जाएगा. वाशिम जिले में कृषि विभाग को इस साल 4 लाख 424 हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की बुवाई की उम्मीद थी. अभी तक सामने आए आंकड़ों से पता चलता है कि जिले में 2 लाख 31 हजार 770 हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है. मराठवाड़ा में भी मूंग और उड़द का रकबा कम होता जा रहा है.
किसानों को इस बार कपास से अच्छी कमाई हुई है और उन्हें रिकॉर्ड रेट मिला है. इसी को देखते हुए कृषि विभाग ने भविष्यवाणी की थी कि इस साल कपास का रकबा बढ़ेगा. वर्तमान में चल रहे बुवाई को देखते हुए यह स्पष्ट भी होता जा रहा है. इसके अलावा दलहन की बुवाई में देरी के कारण अब उड़द और मूंग वाले खेत में भी कपास की बुवाई की जा रही है. पिछले साल कपास की कीमत 14,500 रुपए प्रति क्विंटल थी और अभी भी कीमतें स्थिर हैं. इसलिए कृषि विभाग ने अनुमान लगाया है कि शेष अवधि में कपास के रकबे में वृद्धि होगी. वाशिम जिले में कपास की औसतन 19 हजार 245 हेक्टेयर में बुवाई होने की उम्मीद की थी. इसमें से अभी तक 14 हजार 297 हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई का काम हो गया है.
वाशिम जिले में बुवाई का प्रतिशत
वाशिम जिले के रिसोड ब्लॉक में संतोषजनक वर्षा के कारण मध्य जून के बाद बुवाई में तेजी आई. इसलिए यहां उच्चतम बुवाई दर 59.50 प्रतिशत है. इसके बाद वाशिम ब्लॉक में 59.30 प्रतिशत, मंगरुलपीर ब्लॉक में 58.70 प्रतिशत, करंजा में 56.70 प्रतिशत, मनोरा ब्लॉक में 55.20 प्रतिशत और मालेगांव ब्लॉक में 52.90 प्रतिशत बुवाई हो चुकी है. बारिश में तेजी के बाद बुवाई का काम भी अब रफ्तार पकड़ रहा है.
स्थिति के आधार पर फसल परिवर्तन
दलहनी फसलों की बुवाई प्रत्येक वर्ष खरीफ सीजन के प्रारंभ में की जाती है, लेकिन इस साल सीजन की शुरुआत में पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण अरहर, उड़द और मूंग की फसलों की बुवाई नहीं हो पाई. यह स्थिति पूरे राज्य में बनी हुई है. इसी वजह से खरीफ सीजन में सोयाबीन और कपास के रकबे में बढ़ोतरी की उम्मीद है. किसान 15 जुलाई तक सोयाबीन की बुवाई भी कर लें तो उत्पादन में गिरावट नहीं आएगी. कृषि विभाग ने किसानों से उत्पादन को लेकर चिंतित नहीं रहने की अपील की है.
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