Cryptocurrency में इन्वेस्ट करना है जोखिम का सौदा, पाएं अपने सवालो का जवाब
रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए सबसे बड़ा रिस्क यह है कि क्रिप्टोकरेंसी में रेग्युलेशन का अभाव है. डिजिटल असेट का भविष्य अमेरिकी रुख पर निर्भर करता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Cryptocurrency में निवेशकों की दिलचस्पी लगातार बढ़ती जा रही है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसकी ट्रेडिंग से बैन तो जरूर हट गया है लेकिन रिजर्व बैंक ने अभी तक इसे कानूनी मान्यता नहीं दी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक साल में क्रिप्टो में निवेश 200 मिलियन डॉलर से बढ़कर 40 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है.
ब्लूमबर्ग में छपी रिपोर्ट में Marshall Wace Asia Ltd के सीईओ अमित राजपाल ने अपने इंटरव्यू में कहा कि रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए सबसे बड़ा रिस्क यह है कि क्रिप्टोकरेंसी में रेग्युलेशन का अभाव है. कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें इन्वेस्टर्स का पैसा डूब गया क्योंकि उसके अकाउंट को हैक कर खाली कर दिया गया है. इसकी असेट की सबसे बड़ी कमी इसकी कीमत में अस्थिरता है. हालांकि एक अच्छी बात यह है कि धीरे-धीरे इसकी स्वीकार्यता बढ़ रही है और इसके कारण रेग्युलेशन आर्किटेक्शन में सुधार आ रहा है. पिछले 3-5 सालों के मुकाबले अब ट्रेडिंग एक्सचेंज और रेग्युलेशन में काफी सुधार आया है.
क्रिप्टोकरेंसी अभी फाइनेंशियल सिस्टम के लिए खतरा नहीं
क्या क्रिप्टोकरेंसी वर्तमान फाइनेंशियल सिस्टम के लिए किसी तरह का खतरा है. इसको लेकर उनका कहना है कि अभी यह काफी छोटा बाजार है. क्रिप्टोकरेंसी का बाजार हाल ही में 1 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार किया है. गौर करेंगे तो दुनिया की कई ऐसी कंपनियां हैं जिनका मार्केट कैप 1 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा है. वैल्यु के लिहाज से यह ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम का आधा फीसदी भी नहीं है लेकिन इसकी चर्चा और आकर्षण का कारण कीमत में अस्थिरता ही है.
अमेरिकी रवैये से तय होगा डिजिटल करेंसी भविष्य
इसके भविष्य को लेकर उनका कहना है कि अमेरिका क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल असेट के प्रति क्या रवैया अपनाता है, इससे इसका भविष्य तय होगा. वर्तमान में 6 रेग्युलेटर क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को फाइनेंशियल सिस्टम का हिस्सा बनाने के लिए काम कर रहा है. इसमें ऑफिस ऑफ कंपट्रोलर ऑफ करेंसी (OCC), फेडरल रिजर्व, न्यूयॉर्क डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज, SEC (The U.S. Securities and Exchange Commission) और फाइनेंशियल क्राइम एनफोर्समेंट नेटवर्क (FinCEN) शामिल हैं.
कई देश इसे अपनाने की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं
इस साल OCC ने तीन डिजिटल बैंक को लाइसेंस जारी किया है. ये बैंक केवल डिजिटल करेंसी में ट्रांजैक्शन करते हैं. इधर रिजर्व बैंक भी सरकारी डिजिटल करेंसी की दिशा में काम कर रहा है. पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना तो पायलट प्रोजेक्ट तक आगे बढ़ चुका है. ऐसे में इस बात की पूरी-पूरी संभावना है कि डिजिटल करेंसी को मान्यता भी मिलेगा. हालांकि यह सफर उतार-चढ़ाव भरा रहने की पूरी उम्मीद है.