शेयर बाजार के जरिये सूचीबद्ध कंपनियों में निवेश, जानें टैक्स का गणित
आमतौर पर निवेशक शेयर बाजार के जरिये सूचीबद्ध कंपनियों में निवेश करते हैं। वहीं, कई ऐसे निवेशक हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आमतौर पर निवेशक शेयर बाजार के जरिये सूचीबद्ध कंपनियों में निवेश करते हैं। वहीं, कई ऐसे निवेशक हैं जो बाजार में कंपनी का आईपीओ आने और सूचीबद्ध होने से पहले ही निवेश करते हैं। इसे गैर-सूचीबद्ध शेयरों में निवेश कहा जाता है। बाजार के जानकारों का कहना है कि इसमें जोखिम अधिक होता है लेकिन निवेश पर बंपर रिटर्न भी मिलता है। ऐसे में अगर आप गैर-सूचीबद्ध कंपनी के शेयर में निवेश करने की तैयारी में है या निवेश कर चुके हैं तो लगने वाले टैक्स को जरूर जान लें। यह बाद की परेशानी से आपको बचाएगा।
लाभ पर कैसे लगता है टैक्स
किसी कंपनी के शेयरों को पूंजीगत संपत्ति के रूप में माना जाता है। ऐसे शेयरों को बेचने से या तो पूंजीगत लाभ होता है या पूंजीगत हानि होती है। शेयरों की बिक्री पर इस तरह के लाभ या हानि को छोटी और लंबी अवधि का पूंजीगत लाभ में वर्गीकृत किया जाता है।
1. छोटी अवधि में लाभ/हानि
अगर एक गैर-सूचीबद्ध शेयर निवेश की तारीख से दो साल के भीतर बेचा जाता है, तो इससे होने वाले लाभ या हानि को कर की गणना के लिए अल्पावधि माना जाता है। इसके तहत छोटी अवधि के हानि को छोटी या लंबी अवधि के लाभ से समायोजित किया जा सकता है। छोटी अवधि के लाभ पर पर निवेशक के टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है।
2. एक गैर-सूचीबद्ध शेयर की बिक्री से कोई लाभ या हानि दीर्घकालिक माना जाता है, अगर ऐसा शेयर निवेश की तारीख से दो साल बाद बेचा जाता है। लॉन्ग टर्म लॉस को लॉन्ग टर्म गेन के खिलाफ एडजस्ट किया जा सकता है, जबकि लॉन्ग टर्म गेन पर इंडेक्सेशन के बाद 20 फीसदी की दर से टैक्स लगता है।
कौन से आईटीआर फॉर्म भरें
अगर आपने गैर-सूचीबद्ध कंपनी के शेयर में निवेश किया है और उससे लाभ या हानि हुआ है तो आपको आईटीआर फॉर्म-2 के जरिये अपना रिटर्न भरना होगा। ऐसा इसलिए कि पूंजीगत लाभ या हानि का खुलासा आईटीआर-1 फॉर्म में नहीं किया जा सकता है।