बैंक में एफडी कराने से पहले जान ले जरुरी बातें
Fixed deposit latest News-बैंकों ने एफडी दरें बढ़ानी शुरू कर दी है. यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि कर्ज महंगे होने वाले हैं. इसकी शुरुआत भी हो चुकी है. HDFC और बजाज फाइनेंस की ओर से एफडी पर ब्याज दरें बढ़ाई गई हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बैंक ऑफ इंग्लैंड की ओर से ब्याज दरों में की गई बढ़ोतरी का आपकी जेब से सीधा रिश्ता है. जी हां यह चौंकने वाली बात नहीं, वो कहते हैं न समझदार के लिए इशारा काफी है. तो यह इशारा इस बात का है कि 2022 में आपकी एफडी पर आपको ज्यादा रिटर्न मिलेगा. बैंकों की जमा पर भी ब्याज दरें सुधरने वाली हैं. बांड की यील्ड भी बढ़ेगी और यह सब इसलिए क्योंकि कर्ज महंगे होने वाले हैं. इसकी शुरुआत भी हो चुकी है. HDFC और बजाज फाइनेंस की ओर से एफडी पर ब्याज दरें बढ़ाई गई हैं.
दरअसल, कोविड के कारण टूटी अर्थव्यवस्थाओं को सस्ते कर्ज की वैक्सीन देने के लिए दुनियाभर में जमकर नोटों की छपाई चल रही है.जरूरत से ज्यादा नकदी छोड़कर सस्ते कर्ज बांटे गए, जिससे आर्थिक विकास की गाड़ी में धक्का लगे. इसने महंगाई की आग को भी हवा दी.तो अब दुनियाभर में कर्ज महंगा होने का सिलसिला बस शुरू ही होने वाला है. यूरोप से इसकी शुरुआत हो चुकी है. अमेरिका से भी खबर आ गई है कि 2022 में तीन बार ब्याज दरें बढ़ाई जा सकती हैं.
बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में भी रिजर्व बैंक की ओर से अगले साल रेपो रेट में बढ़ोतरी की जा सकती है. रेपो रेट यानी वह दर जिस पर बैंकों को आरबीआई से कर्ज मिलता है. रेपो रेट बढ़ने से कर्ज महंगा होता है और इसके कम होने से कर्ज सस्ता. रेपो रेट का जमा की ब्याज दरों से भी सीधा रिश्ता है….
कर्ज सस्ता देने के लिए पूंजी हमारी आपकी जमा ही है… कर्ज सस्ते देने हैं इसलिए एफडी, सेविंग अकाउंट पर भी ब्याज दरें घटाई जाती हैं… आपको बता दें कि मई 2020 से रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 4 फीसद पर बरकरार रखा है. इसका असर यह हुआ कि देश के सबसे बड़ा बैंक SBI जो जनवरी 2020 में एक साल की एफडी पर 6.10 फीसद का ब्याज दे रहा था… इस पर मौजूदा ब्याज दर 4.90 के स्तर पर है. जो खुदरा महंगाई की दर करीब 5 फीसद से कम है.
क्रेडेंस वेल्थ एडवाइजर के फाउंडर और CEO कीर्तन शाह के मुताबिक फिक्स्ड इनकम निवेश जैसे FD, बांड और डेट म्यूचुअल फंड में निवेश करते वक्त लंबे समय के टेन्योर की जगह छोटी अवधि वाले निवेश चुनें. क्योंकि ब्याज दर धीरे- धीरे बढ़ेगी और लंबी लॉक इन वाले निवेश में ब्याज लॉक हो जाता है. हालांकि कीर्तन कहते हैं इसके बाद भी ये विकल्प महंगाई को मात दे पाएंगे यह देखने वाली बात होगी.
मनी9 की सलाह-ओमीक्रॉन का खतरा अगर बढ़ता है तो ब्याज दरों में बढ़ोतरी में देरी हो सकती है. किसी भी फिकस्ड विकल्प में निवेश से महंगाई की दर को भी ध्यान में रखें और पोर्टफोलियो में जरूरत के मुताबिक ही डेट या फिकस्ड इनकम का हिस्सा रखें.