उच्च प्रदर्शन वाली सुगंध, पर्यावरण-अनुकूल तरल डिटर्जेंट देश की फैब्रिक केयर विकास की कहानी को आगे बढ़ाएंगे

Update: 2023-07-01 11:31 GMT
नई दिल्ली: भारतीय गृहणियों का मानना है कि पाउडर डिटर्जेंट में उत्कृष्ट विशेषताएं होती हैं, हालांकि ब्रांड कपड़ों की सुरक्षा के दावों पर ध्यान केंद्रित करके उन्‍हें तरल डिटर्जेंट को आजमाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। वैश्विक बाजार इंटेलिजेंस कंपनी मिंटेल के एक उपभोक्ता शोध में यह बात पता चली है।
यह सर्वेक्षण देश के सभी चार क्षेत्रों में टियर 1, 2 और 3 शहरों में 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के 3,100 उपभोक्ताओं के बीच किया गया था। फैब्रिक केयर में भारतीय लॉन्च मुख्य रूप से पाउडर, तरल और बार साबुन के इर्द-गिर्द घूमते हैं। मिंटेल के अनुसार, कैप्सूल/पॉड्स, फ्रेगरेंस बीड्स और ड्रायर शीट जैसे नए प्रारूप धीरे-धीरे भारतीय बाजार में अपनी जगह बना रहे हैं।
शोध में बताया गया है कि सर्वेक्षण में हिस्‍सा लेने वाले लोगों में 49 प्रतिशत तरल डिटर्जेंट का उपयोग करते हैं। वहीं वॉशिंग मशीन इस्‍तेमाल करने वालों में 59 प्रतिशत तरल डिटर्जेंट का उपयोग करते हैं। सैचीरोम के प्रबंध निदेशक और मुख्य परफ्यूमर मनोज अरोड़ा कहते हैं, “स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखने की बढ़ती ज़रूरत ने बेहतर गुणवत्ता वाले डिटर्जेंट को बढ़ावा दिया है। इसके परिणामस्वरूप, उपभोक्ता लॉन्ड्री केयर सुगंधों की ओर आकर्षित हुए हैं जो हमारे मूड और प्राथमिकताओं पर प्रभाव डालते हैं। अब सिर्फ कपड़े साफ करने की बात नहीं है। यह ताज़ी महक वाली लॉन्ड्री के बारे में भी है जो एक उत्साहवर्धक अनुभव प्रदान करती है और उपभोक्ताओं को ब्रांड के साथ एक भावनात्मक संबंध बनाने में मदद करती है।''
सैचीरोम भारत की सुगंधों और स्वादों की अग्रणी निर्माता और आपूर्तिकर्ता है। मिंटेल को उम्मीद है कि भारतीय फैब्रिक केयर श्रेणी का बाजार 2022 के 521 अरब रुपये से बढ़कर 2025 में 639 अरब रुपये का हो जाएगा जिसमें अधिकतर योगदान लॉन्ड्री डिटर्जेंट का होगा। टेक्नावियो की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक लॉन्ड्री देखभाल बाजार 2022 और 2027 के बीच 4.28 प्रतिशत वार्षिक की चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ने का अनुमान है, और बाजार के आकार में 23.85 अरब डॉलर की वृद्ध‍ि का अनुमान है।
बाजार का आकार 2017 में 86.84 बिलियन डॉलर था। कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से उपभोक्ता अपने द्वारा उपयोग किए जाने वाले उत्पादों और सैनिटाइज़र के साथ अपने घरों और कपड़ों की अच्छी खुशबू के बारे में भी अधिक सतर्क हो गए हैं। मिंटेल शोध में कहा गया है कि 40 फीसदी भारतीयों का मानना है कि हर बार पहनने के बाद कपड़े तुरंत धोने चाहिए। अपने धुलाई के उत्‍पादों में जीवाणुरोधी गुण खोजने वालों में यह आंकड़ा 45 प्रतिशत तक बढ़ गया।
भारत बड़े पैमाने पर हाथ धोने के उत्‍पादों का उपभोक्ता रहा है जहां पाउडर डिटर्जेंट बाजार में सबसे बड़ी श्रेणी है। हालांकि, बेहतर सफाई प्रथाओं और उपभोक्ताओं के घरेलू काम में अधिक आराम चाहने के साथ फैब्रिक वॉश एंड केयर उद्योग में एक गतिशील बदलाव हो रहा है।
परिणामस्वरूप, भविष्य में वॉशिंग मशीनों की पहुंच बढ़ने की उम्मीद है।
वॉशिंग मशीन में पाउडर और तरल पदार्थ दोनों का उपयोग किया जाता है, लेकिन तरल डिटर्जेंट भी तेजी से एक उच्च-विकास वाला बाजार बन रहा है - मुख्य रूप से देश भर में मेट्रो और टियर-1 शहरों में फैब्रिक केयर श्रेणी में। महामारी के दौरान बढ़ती मांग से ब्रांडों को अपने उत्पादों को प्रीमियम बनाने में मदद मिली है। इसी संदर्भ में एफएमसीजी कंपनियां आजकल खुद को अन्य ब्रांडों से अलग करने के लिए फैब्रिक केयर में लंबे समय तक चलने वाली खुशबू की पेशकश कर रही हैं।
उदाहरण के लिए, हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) ने वित्त वर्ष 2022-23 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि उसके 19 ब्रांडों ने 1,000 करोड़ रुपये या ज्‍यादा का कारोबार किया। वास्तव में, सर्फ एक्सेल वित्त वर्ष 2022-23 में एक अरब डॉलर से अधिक की वार्षिक बिक्री करने वाला भारत का पहला घरेलू और व्यक्तिगत देखभाल ब्रांड बन गया। एचयूएल का होम केयर लिक्विड पोर्टफोलियो जिसमें फैब्रिक कंडीशनर, लिक्विड डिटर्जेंट और डिशवॉशर शामिल हैं, का वार्षिक कारोबार 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का है।
कपड़ों की लंबी उम्र और प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए, ब्रांड लगातार यह परिभाषित कर रहे हैं कि कपड़े की देखभाल का वास्तव में क्या मतलब है। लॉन्ड्री उत्पाद खरीदते समय उपभोक्ताओं के लिए संवेदी लाभ महत्वपूर्ण हैं।
पाउडर और तरल दोनों स्वरूपों में उपयोग की जाने वाली सुगंध ग्राहक को बेहतर अनुभव प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ताज़ी खुशबू वाले नवोन्मेषी लॉन्ड्री उत्पादों में उपभोक्ताओं की दिलचस्पी बढ़ रही है। इसने डिटर्जेंट की उनकी पसंद को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। हापिसो और वोल्ट जैसे घरेलू डी2सी ब्रांड ऐसे उत्पादों के साथ क्षेत्र में नवप्रवर्तन कर रहे हैं जो लॉन्ड्री पॉड जैसे पारंपरिक प्रारूपों से अलग हैं।
बहु-संवेदी अनुभव खरीद के लिए एक महत्वपूर्ण कारक बन गया है। उदाहरण के लिए सुगंध वितरण में माइक्रोएन्कैप्सुलेशन तकनीक के आगमन ने उत्पाद को उपभोक्ता के साथ आकर्षक तरीके से जोड़ने पर ध्यान केंद्रित किया है। सैचीरोम की तकनीक-आधारित पेशकश - सैच मैक्सीकैप्स - नियंत्रित समय पर खुशबू जारी करता है। इसके लिए पानी और घर्षण के पैमानों को मापदंड बनाया गया है।
यह प्रणाली सुगंध की उच्च मात्रा सुनिश्चित करती है और कपड़ों को ताजगी का एहसास प्रदान करने के लिए इसे कपड़े धोने वाले डिटर्जेंट या फैब्रिक सॉफ्टनर में मिलाया जा सकता है। मिंटेल इंडिया के ब्‍यूटी एंड पर्सनल केयर की वरिष्‍ठ विश्‍लेषक तान्‍या रजनी ने बताया, “फैब्रिक केयर श्रेणी की प्रमुख खरीदार भारतीय गृहणियां मानती हैं कि पाउडर डिटर्जेंट में विशिष्‍ट शक्ति होती हैं... प्रीमियम कपड़ों में निवेश करने वाले उपभोक्ताओं को प्रीमियम उत्‍पादों की ओर मोड़ने के लिए फैब्रिक रखरखाव दावों का उपयोग करने का यह अवसर है, और नए प्रारूपों के साथ नवाचार अधिक उपभोक्ताओं को आकर्षित कर सकता है।”
हालांकि भारत के लॉन्ड्री केयर बाजार का एक हिस्सा पाउडर डिटर्जेंट और बार साबुन के इर्द-गिर्द घूमता है, तरल डिटर्जेंट, कैप्सूल/पॉड और खुशबू वाले मोती जैसे नए प्रारूप धीरे-धीरे बाजार में आ रहे हैं। बढ़ती उपभोक्ता जरूरतों के कारण, सांद्र तरल डिटर्जेंट, फैब्रिक कंडीशनर और लॉन्ड्री पॉड्स पहले से ही बाजार में हलचल मचा रहे हैं।
लगातार बदलती उपभोक्ता मांगों से प्रेरित होकर खुशबू उद्योग भी खुशबू बूस्टर, तरल डिटर्जेंट, फैब्रिक सॉफ्टनर और पाउडर डिटर्जेंट सहित अवसरों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए महत्वपूर्ण नवाचार प्रदान कर रहा है। मिंटेल के अनुसार, लॉन्ड्री पॉड के बारे में जानने वाले उपभोक्‍ता उच्च सामाजिक-आर्थिक वर्ग से आने वाले 1980 के दशक में पैदा हुए लोग हैं। नए रुझानों और नवाचारों के बारे में उनकी जागरूकता अधिक होती है, जिसका श्रेय अधिक तकनीकी स्वामित्व, डिजिटल एक्सपोज़र और ऊर्ध्‍वगामी चल जीवनशैली को दिया जा सकता है।
अध्ययन में कहा गया है, "इसलिए, यह आश्चर्य की बात नहीं है कि ये उपभोक्ता जो लॉन्ड्री पॉड के बारे में जानते हैं, वे नए लॉन्ड्री उत्पादों को आज़माने के इच्छुक हैं, जिन्हें उन्होंने पहले नहीं आज़माया है।" आने वाले वर्षों में, तरल पदार्थों के प्रीमियम होने और भारतीय घरों में अधिक प्रासंगिक होने की अच्छी संभावना है।
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