सरकार की योजना 11 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर रही, सोशल सिक्योरिटी स्कीम में APY का दबदबा

एपीवाई के कुल सब्सक्राइबर्स की संख्या 2.8 करोड़ है. एनपीएस के तहत 4.2 करोड़ सब्सक्राइबर्स में से 2020-21 के अंत तक 66 प्रतिशत से ज्यादा एपीवाई के ही थे

Update: 2021-09-05 12:07 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अटल पेंशन योजना (APY) एक लोकप्रिय सोशल सिक्योरिटी स्कीम बन कर उभरी है. नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में सब्सक्राइबर्स के मामले में इसका कोई तोड़ नहीं है. सबसे खास बात है कि इस योजना के ज्यादातर सब्सक्राइबर्स छोटे शहरों से हैं. एनपीएस ट्रस्ट की वार्षिक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है.

एपीवाई के कुल सब्सक्राइबर्स की संख्या 2.8 करोड़ है. एनपीएस के तहत 4.2 करोड़ सब्सक्राइबर्स में से 2020-21 के अंत तक 66 प्रतिशत से ज्यादा एपीवाई के ही थे. इसके बाद राज्य सरकार की योजना 11 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर रही. वहीं केंद्रीय स्वायत्त निकाय (सीएबी) का एनपीएस अंशधारकों में हिस्सा सबसे कम एक प्रतिशत रहा. राज्य स्वायत्त निकायों (एसएबी) का हिस्सा इसमें दो प्रतिशत रहा.

सबसे तेजी से बढ़ रहे हैं APY के सब्सक्राइबर्स

रिपोर्ट में कहा गया है कि नॉन मेट्रो सब्सक्राइबर्स में एपीवाई सबसे लोकप्रिय योजना है. यह देश में जनसांख्यिकीय रुझानों को भी दर्शाता है. वित्त वर्ष 2020-21 के अंत तक एनपीएस के सब्सक्राइबर्स की संख्या 4.2 करोड़ थी. रिपोर्ट के मुताबिक, सब्सक्राइबर्स की संख्या में वृद्धि के मामले में भी अटल पेंशन योजना सबसे आगे रही. मार्च, 2021 को समाप्त वित्त वर्ष में एपीवाई के सब्सक्राइबर्स की संख्या सालाना आधार पर 33 प्रतिशत बढ़ी. इसके बाद ऑल-सिटिजन मॉडल (32 प्रतिशत) का स्थान रहा.

भारत सरकार ने अटल पेंशन योजना मई, 2015 में शुरू की थी. 18 से 40 वर्ष की आयु के सभी नागरिक इस योजना का हिस्सा बन सकते हैं. योजना के तहत एक सब्सक्राइबर्स को 60 साल की आयु पूरी होने के बाद उनके योगदान के आधार पर 1,000 से 5,000 रुपए मासिक पेंशन की गारंटी दी जाती है.

एनपीएस के सब्सक्राइबर्स में 3.77 करोड़ या 89 प्रतिशत नॉन मेट्रो शहरों के हैं. वित्त वर्ष 2020-21 में नॉन मेट्रो शहरों के सब्सक्राइबर्स की संख्या सालाना आधार पर 72.34 लाख बढ़ी. वहीं मेट्रो शहरों के सब्सक्राइबर्स की संख्या 16 प्रतिशत या 4.87 लाख की वृद्धि के साथ 35.78 लाख पर पहुंच गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि एनपीएस सब्सक्राइबर्स के आयु-वार विश्लेषण से पता चलता है कि लगभग 85 प्रतिशत 18-40 वर्ष आयु वर्ग के थे. इसमें भी 25 से 30 साल के बीच के सब्सक्राइबर्स की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत रही.

एनपीएस में पुरुषों का दबदबा, लेकिन तेजी से बढ़ रही महिलाओं की संख्या

वित्त वर्ष 2021 के अंत तक पुरुष सब्सक्राइबर्स की संख्या 2.47 करोड़ थी. एनपीएस में 2020 में 2.02 करोड़ और 2019 में 1.61 करोड़ पुरुष सब्सक्राइबर्स थे. वहीं महिला सब्सक्राइबर्स की बात करें तो 2019 में 1.12 करोड़, 2020 में 1.45 करोड़ और 2021 में 1.77 करोड़ रही. कुल सब्सक्राइबर्स में अभी भी पुरुषों का दबदबा बना हुआ है, लेकिन महिला सब्सक्राइबर्स की संख्य में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. 2020-21 में महिला सब्सक्राइबर्स की संख्या 24 और 2019-20 में 28 प्रतिशत की दर से बढ़ी. इसी दौरान पुरुष सब्सक्राइबर्स की संख्या में 22 और 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई.

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